'धर्म के नाम पर लोगों से पैसे लूट रहे पाखंडी': मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पुजारी की पत्नी को अग्रिम जमानत देने से किया इनकार

Brij Nandan

30 Dec 2022 9:56 AM GMT

  • धर्म के नाम पर लोगों से पैसे लूट रहे पाखंडी: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पुजारी की पत्नी को अग्रिम जमानत देने से किया इनकार

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने हाल ही में जबरन वसूली और आपराधिक विश्वासघात मामले में एक पुजारी की पत्नी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया।

    जस्टिस अनिल वर्मा ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि धर्म के नाम पर लोगों से पैसे लूट रहे हैं।

    आगे कहा,

    "आजकल समाज में ऐसी कठोर स्थिति प्राय: देखने को मिलती है कि अनेक ढोंगी धर्म के नाम पर भोले-भाले लोगों के फैसे लूट रहे हैं और उन्हें ठग रहे हैं। इस प्रकार के धोखेबाज धर्म के नाम पर कलंक हैं। समाज को ऐसे विश्वासघाती लोगों से सावधान रहना चाहिए। रिकॉर्ड पर उपलब्ध प्रथम दृष्टया सबूतों को देखते हुए, यह अदालत आवेदक को अग्रिम जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं है।"

    प्रार्थी लवीना पर इंदौर जिले के हीरा नगर थाने में दर्ज मामले में आईपीसी की धारा 386, 406, 120-बी के तहत दंडनीय अपराध का आरोप लगाया गया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, शिकायतकर्ता ने अपने गहने "सुरक्षित तरीके से" रखने के लिए आवेदक के पति को सौंपे थे, जो एक पुजारी हैं।

    हालांकि, उसने आवेदक के साथ एक समझौते के आधार पर मुथूट फाइनेंस कॉर्प और रिद्धि सिद्धि ज्वैलर्स में कुछ गहने गिरवी रख दिए, लेकिन उसके बाद उसने न तो पैसे और न ही गहने उसे लौटाए। इस प्रकार, आवेदक और सह-आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

    लवीना की अग्रिम जमानत के लिए तर्क देते हुए उसके वकील ने प्रस्तुत किया कि उसने कथित कृत्य में कोई भूमिका नहीं निभाई और वह एक गृहिणी है।

    आगे बताया कि उसने प्रॉमिसरी नोट पर एक गवाह के रूप में हस्ताक्षर किए, लेकिन उसने कोई प्रत्यक्ष कृत्य नहीं किया, जैसा कि प्राथमिकी में उल्लेख किया गया है।

    पक्षकारों के प्रस्तुतीकरण और रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों की जांच करने पर, अदालत ने आवेदक द्वारा दिए गए तर्कों में कोई दम नहीं पाया।

    कोर्ट ने कहा कि उसने अपने पति के साथ मिलकर अपने पद का दुरुपयोग किया और शिकायतकर्ता के साथ विश्वासघात किया।

    कोर्ट ने कहा,

    "मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, दोनों पक्षों द्वारा दिए गए तर्क, आरोप की प्रकृति और गंभीरता से यह पता चलता है कि प्रॉमिसरी नोट वर्तमान आवेदक के पति द्वारा निष्पादित किया गया था, लेकिन यह आवेदक द्वारा गवाह के रूप में हस्ताक्षरित है, यह भी पाया कि वर्तमान आवेदक एक गुरुमाता और उनके पति एक धार्मिक पुजारी होने के नाते अपने पद का दुरुपयोग करते हैं और शिकायतकर्ता के सोने और चांदी के गहने और नकद राशि हड़प कर उनके साथ विश्वासघात करते हैं।"

    केस टाइटल: लवीना बनाम मध्य प्रदेश राज्य

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:





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