Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हुबली बार एसोसिएशन के प्रस्ताव को बताया कानून-विरुद्ध, कश्मीरी छात्रों का मुकदमा लड़ रहे वकीलों को सुरक्षा देने का निर्देश

LiveLaw News Network
20 Feb 2020 9:44 AM GMT
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हुबली बार एसोसिएशन के प्रस्ताव को बताया कानून-विरुद्ध, कश्मीरी छात्रों का मुकदमा लड़ रहे वकीलों को सुरक्षा देने का निर्देश
x

कर्नाटक हाईकोर्ट ने, एक महत्वपूर्ण आदेश में, गुरुवार को हुबली पुलिस आयुक्त को उन अधिवक्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया है, जिन्होंने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार 3 कश्मीरी छात्रों का मुकदमा लड़ने की इच्छा जाहिर की है।

कोर्ट ने एक याचिका पर य‌ह निर्देश दिया है। याचिका हुबली बार एसोसिएशन के उस प्रस्ताव के विरोध में दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि बार एसोसिएशन का कोई भी सदस्य इन छात्रों का मुकदमा नहीं लड़ेगा।

याचिका की सुनवाई में पीठ का नेतृत्व कर रहे मुख्य न्यायाधीश अभय ओका ने मौखिक रूप कहा, "ऐसे प्रस्ताव पारित करके वे अदालत का काम रोक रहे हैं। क्या वे खुद ही मिनी ट्रायल कर रहे हैं? ऐसे कृत्यों को सहमति नहीं दी जा सकती है?"

कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि बार एसोसिएशन ने अपने प्रस्ताव पर पुनर्विचार नहीं किया तो हम उसकी वैधता की जांच करने के लिए बाध्य होंगे।

पीठ ने कहा "हम प्रतिवादी संख्या 4 (बार एसोसिएशन) को अपने प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने के लिए कहते हैं, यह पूर्व दृष्टया कानून विरूद्ध प्रतीत होता है। चौथा प्रतिवादी आवश्यक कार्रवाई कर सकता है, क्योंकि वह संविधान से बंधा हुआ है और उसके सदस्य बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा तय किए गए नियमों की नैतिकता से बंधे हुए हैं। यदि प्रतिवादी पुनर्विचार करने से इनकार करता है तो हमें अगली सुनवाई पर प्रस्ताव की वैधता पर विचार करेंगे।"

उल्‍लेखनीय है कि हुबली में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे तीन कश्मीरी छात्रों को पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाने के अरोप में गिरफ्तार किया गया था और उन पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था।

सोमवार को, हुबली बार एसोसिएशन एक प्रस्ताव पास किया, जिसमें कहा गया कि ये आरोपी कानूनी प्रतिनिधित्व का अधिकार नहीं रखते, क्योंकि उन्होंने "राष्ट्र-विरोधी" कार्य किया है। हुबली बार एसोसिएशन में 1600 से अधिक सदस्य हैं।

हालांकि प्रस्ताव को चुनौती देते हुए 24 वकील के एक समूह ने हाईकोर्ट से कहा कि बार एसोसिएशन एक अभियुक्त को कानूनी सहायता लेने के मौलिक अधिकार से वंचित नहीं कर सकता है।

याचिका में कहा गया है कि उक्त प्रस्ताव से भय का वातावरण बना है, जिसके कारण कोई भी अधिवक्ता अदालत के समक्ष उपस्थित होने में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है।

याच‌िका में दलील दी गई है कि अभियुक्त को कानूनी प्रतिनिधित्व देने से से एक बार एसोसिएशन सामूहिक इनकार एक वकील के संवैधानिक दायित्वों और पेशेवर नैतिकता के विपरीत है।

उल्‍लेखनीय है कि इससे पहले, मैसुरु बार एसोसिएशन ने भी एक छात्रा को कानूनी प्रतिनिधित्व देने के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था। उस छात्रा पर "फ्री कश्मीर" की तख्ती लेने के कारण राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था।

हालांकि कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों से आए अन्य वकीलों ने उस छात्रा का प्रतिनिधित्व किया। कोर्ट ने उसे जमानत दे दी थी।

Next Story