'आप हाईकोर्ट को इतने हल्के में कैसे ले सकते हैं?': कर्नाटक हाईकोर्ट ने तलब किए गए अधिकारियों की अनुपस्थिति पर राज्य सरकार को फटकार लगाई
LiveLaw News Network
9 Nov 2021 8:18 AM IST
महाधिवक्ता प्रभुलिंग के नवदगी ने सोमवार को मौखिक रूप से कर्नाटक हाईकोर्ट को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार द्वारा एक परिपत्र जारी किया जाएगा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि जिन अधिकारियों को किसी भी मामले में अदालत के सामने पेश होने के लिए बुलाया गया है, वे उपस्थित रहें।
मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति सचिन शंकर मगदुम की खंडपीठ ने कहा,
"अधिकारियों को समझना चाहिए कि उच्च न्यायालय क्या है। अधिकारी अदालत के आदेश को हल्के में ले रहे हैं। मैं 13 साल से न्यायाधीश हूं, यह पहली बार कर्नाटक में देख रहा हूं। आप उच्च न्यायालय को इतने हल्के में कैसे ले सकते हैं।"
अदालत ने ये टिप्पणी तब की जब सरकारी वकील ने अदालत को सूचित किया कि दो मामलों में उसके द्वारा तलब किए गए अधिकारी (प्रधान सचिव) उपस्थित नहीं हुए।
कोर्ट ने कहा,
"कुछ कठिनाई होने पर अधिकारियों को सुबह उपस्थित होने से छूट देने के लिए कानून अधिकारी आवेदन क्यों नहीं करते हैं। केवल जब मामला बुलाया जाता है तो कानून अधिकारी सूचित करता है कि अधिकारी मौजूद नहीं है और उनकी अनुपस्थिति के कारण से अवगत नहीं है ? आप अदालत को बहुत हल्के में ले रहे हैं। यह बहुत खराब स्थिति है।"
इसके बाद, नवदगी अदालत के सामने पेश हुए और कहा, "हम सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में ऐसा न हो।"
उन्होंने कहा,
"माफ़ी चाहता हूं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अधिकारी मौजूद रहेंगे।"
अदालत मोहम्मद इकबाल नाम के एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अदालत ने 15 सितंबर के आदेश में निर्देश दिया था कि आवास विभाग के प्रधान सचिव को यह बताने के लिए अदालत के समक्ष उपस्थित रहना होगा कि जवाब दाखिल क्यों नहीं किया गया। यह स्पष्ट किया गया कि यदि अगली तिथि से पूर्व जवाब दाखिल किया जाता है तो प्रमुख सचिव की उपस्थिति में छूट दी जायेगी।
आज जब इस मामले की सुनवाई की गई तो सरकारी वकील ने अदालत को सूचित किया कि दिन के दौरान रजिस्ट्री में जवाब दाखिल किया जाएगा। इससे कोर्ट नाराज हो गया।
दूसरा मामला कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दायर एक याचिका का है, जिसमें चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को अदालत में तलब किया गया था। मामला एमआरआई मशीन लगाने और धारवाड़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (DIMHANS) में चिकित्सा अधीक्षक की नियुक्ति से संबंधित है।
सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता ध्यान चिनप्पा ने अदालत को आश्वासन दिया कि दस दिनों के भीतर चिकित्सा अधीक्षक की नियुक्ति की जाएगी और तीन महीने में एमआरआई मशीन लगाई जाएगी।
अदालत ने तब दिए गए आदेश का विवरण मांगा, जिस पर कोर्ट को बताया गया कि अभी आदेश होना बाकी है।
महाधिवक्ता नवदगी ने हस्तक्षेप किया और अदालत को सूचित किया कि मंगलवार तक एक हलफनामा दायर किया जाएगा, जिसमें बताया जाएगा कि एमआरआई मशीन कब तक स्थापित की जाएगी।
अदालत ने अनुरोध को स्वीकार कर लिया और मामले को बुधवार को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।
केस का शीर्षक: मोहम्मद इकबाल बनाम सचिव, भारत सरकार
केस नंबर: डब्ल्यूपी 5821/2021