'पवित्र कुरान कहता है कि पत्नी और बच्चों की देखभाल करना पति का कर्तव्य है, खासकर जब वे विकलांग हों': कर्नाटक हाईकोर्ट
Sharafat
28 July 2023 4:54 PM IST
कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी और बच्चों के पक्ष में गुजारा भत्ता देने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।
जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की एकल न्यायाधीश पीठ ने मोहम्मद अमजद पाशा द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि उसके पास अपनी पत्नी और नाबालिग बच्चों को 25,000 रुपये का सामूहिक गुजारा भत्ता देने के लिए पर्याप्त साधन नहीं है।
पीठ ने कहा,
“ पवित्र कुरान और हदीस कहते हैं कि यह पति का कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी और बच्चों की देखभाल करे, खासकर जब वे विकलांग हों। यह दिखाने के लिए कोई सामग्री प्रस्तुत नहीं की गई है कि प्रतिवादी-पत्नी लाभकारी रूप से कार्यरत है या उसके पास आय का कोई स्रोत है। अन्यथा भी मुख्य कर्तव्य याचिकाकर्ता के कंधों पर है। ”
पीठ ने याचिकाकर्ता की इस दलील को खारिज कर दिया कि राशि बहुत अधिक है। पीठ ने कहा, “ इन महंगे दिनों में जब रोटी खून से भी महंगी हो गई है तो इसे स्वीकार करना उचित नहीं है।”
आगे यह देखते हुए कि भरण-पोषण का विवादित आदेश वैधानिक विवेक के प्रयोग का एक प्रोडक्ट है, कोर्ट ने कहा, “ अनुच्छेद 227 के तहत रिट उपाय को लागू करते हुए कारण और न्याय के नियमों के उल्लंघन के लिए एक मजबूत मामला बनाया जाना चाहिए। मौजूदा मामले में उक्त विवाद को प्रमाणित करने की कोई चर्चा भी नहीं है। ”
पीठ ने बात को ध्यान में रखते हुए कि 17 साल की एक बेटी विकलांग है और दूसरी 14 साल की किडनी की बीमारी से पीड़ित है, कहा " अंतरिम/स्थायी गुजारा भत्ता देने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आश्रित पति या पत्नी बेसहारा न हो जाएं।”
पीठ ने इस प्रकार याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल : मोहम्मद अमजद पाशा और नसीमा बानो और अन्य
केस नंबर: रिट याचिका नंबर. 8505/2023
ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें