'हिसाब किताब' टिप्पणी मामला: जवाबी हलफनामा दाखिल करने में यूपी सरकार की निष्क्रियता, इलाहाबाद हाईकोर्ट को विधायक अब्बास अंसारी को अंतरिम राहत दी

Brij Nandan

15 Oct 2022 2:52 AM GMT

  • अब्बास अंसारी

    अब्बास अंसारी

    इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने मऊ सदर विधायक अब्बास अंसारी के बेटे और जेल में बंद राजनेता मुख्तार अंसारी के बेटे को हिसाब-किताब टिप्पणी मामले में राहत दी।

    कोर्ट ने मऊ कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें उनके खिलाफ आईपीसी के तहत विभिन्न आरोपों का संज्ञान लिया गया था क्योंकि यूपी सरकार मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने में विफल रही थी।

    जस्टिस समित गोपाल की पीठ मऊ सदर विधायक अब्बास अंसारी द्वारा हिसाब-किताब टिप्पणी मामले के संबंध में दायर आरोप पत्र को खारिज करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें वह मार्च 2022 में मऊ जिले में एक सार्वजनिक रैली में सरकारी अधिकारियों को धमकी देने वाले अपने कथित बयान के लिए एक आपराधिक मामले का सामना कर रहा है।

    गौरतलब है कि पिछले महीने कोर्ट ने यूपी सरकार को मऊ सदर विधायक अब्बास अंसारी के आपराधिक इतिहास से संबंधित विवरण देने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, 14 अक्टूबर को, जब राज्य ने एक हलफनामा दायर करने के लिए 10 दिनों का और समय मांगा।

    कोर्ट ने राज्य सरकार की निष्क्रियता से निराश होकर इस प्रकार टिप्पणी की,

    "राज्य के वकील को प्रति हलफनामा दाखिल करने का समय दिए हुए लगभग एक माह का समय हो गया है, लेकिन कोई प्रति हलफनामा दाखिल नहीं किया गया है और इसके लिए और समय की प्रार्थना की जा रही है। यदि ऐसा है तो आवेदकों को निश्चित रूप से सुरक्षा की आवश्यकता है।"

    नतीजतन, अदालत ने विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए) कोर्ट/अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीनियर डिवीजन), मऊ के आदेश पर रोक लगाने का निर्देश दिया और मामले को 11 नवंबर, 2022 को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट किया।

    कोर्ट ने आगे स्पष्ट किया कि यह आदेश राज्य द्वारा कोई जवाबी हलफनामा दाखिल न करने की निष्क्रियता के कारण ही पारित किया गया है।

    पूरा मामला

    सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी)-समाजवादी पार्टी गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने और जीतने वाले अब्बास अंसारी ने दावा किया कि राज्य में सरकार बनाने के बाद पहले छह महीनों तक किसी भी सरकारी अधिकारी का तबादला नहीं किया जाएगा, क्योंकि उनके पास उनके साथ समझौता करने के लिए एक मार्क है।

    सरकारी अधिकारियों के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणी के संबंध में उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 171F और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

    आरोप पत्र को रद्द करने की मांग करते हुए अंसारी ने उच्च न्यायालय का रुख किया।

    अंसारी के वकील ने तर्क दिया कि आईपीसी की धारा 171एफ के तहत अपराध गैर-संज्ञेय है और धारा 171एफ के परिणामस्वरूप धारा 506 को जोड़ा गया। आगे तर्क दिया गया कि चूंकि स्थानीय पुलिस याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार करना चाहती है, इसलिए अंसारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए जैसे अधिक गंभीर अपराध जोड़े गए।

    याचिकाकर्ताओं के वकील ने आगे तर्क दिया कि भारत के चुनाव आयोग ने किसी भी समय सार्वजनिक मंच पर उनके द्वारा दिए गए बयान के लिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए कोई निर्देश या सिफारिश जारी नहीं की।

    अंसारी की ओर से वकील उपेंद्र उपाध्याय पेश हुए।

    केस टाइटल - अब्बास अंसारी एंड अन्य बनाम यूपी राज्य एंड 2 अन्य [Application U/s 482 No. 25838 of 2022]

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