'हिसाब किताब' टिप्पणी केस: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को विधायक अब्बास अंसारी के आपराधिक इतिहास का विवरण देने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया
Brij Nandan
16 Sept 2022 9:42 AM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने उत्तर प्रदेश सरकार को हिसाब-किताब टिप्पणी मामले में जेल में बंद राजनेता मुख्तार अंसारी के बेटे मऊ सदर विधायक अब्बास अंसारी के आपराधिक इतिहास से संबंधित विवरण देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।
जस्टिस समित गोपाल की पीठ मऊ सदर विधायक अब्बास अंसारी द्वारा हिसाब-किताब टिप्पणी मामले के संबंध में दायर आरोप पत्र को खारिज करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें वह मार्च 2022 में मऊ जिले में एक सार्वजनिक रैली में सरकारी अधिकारियों को धमकी देने वाले अपने कथित बयान के लिए एक आपराधिक मामले का सामना कर रहा है।
चुनाव प्रचार के दौरान एक जनसभा में अंसारी ने कहा था कि उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव से कहा कि अगर सपा गठबंधन की सरकार बनती है तो अगले छह महीने तक सरकारी अधिकारियों का तबादला न करें। चुनाव के बाद सबसे पहले उनका 'हिसाब किताब' होगा।
राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि अंसारी का आपराधिक इतिहास है, जिसका खुलासा उसके द्वारा दायर हलफनामे में नहीं किया गया है, बल्कि आपराधिक इतिहास के बारे में उसका बयान अस्पष्ट है, अदालत ने उसे दो सप्ताह का समय दिया।
राज्य सरकार ने इस संबंध में जवाबी हलफनामा दायर किया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 14 अक्टूबर, 2022 को पोस्ट किया।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी)-समाजवादी पार्टी गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने और जीतने वाले अब्बास अंसारी ने दावा किया कि राज्य में सरकार बनाने के बाद पहले छह महीनों तक किसी भी सरकारी अधिकारी का तबादला नहीं किया जाएगा, क्योंकि उनके पास उनके साथ समझौता करने के लिए एक मार्क है।
सरकारी अधिकारियों के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणी के संबंध में उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 171F और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
इस एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए अंसारी ने हाईकोर्ट का रुख किया।
अंसारी के वकील ने तर्क दिया कि आईपीसी की धारा 171एफ के तहत अपराध गैर-संज्ञेय है और धारा 171एफ के परिणामस्वरूप धारा 506 को जोड़ा गया। आगे तर्क दिया गया कि चूंकि स्थानीय पुलिस याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार करना चाहती है, इसलिए अंसारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए जैसे अधिक गंभीर अपराध जोड़े गए।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने आगे तर्क दिया कि भारत के चुनाव आयोग ने किसी भी समय सार्वजनिक मंच पर उनके द्वारा दिए गए बयान के लिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए कोई निर्देश या सिफारिश जारी नहीं की।
केस टाइटल - अब्बास अंसारी एंड अन्य बनाम यूपी राज्य एंड 2 अन्य [Application U/s 482 No. 25838 of 2022]
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