[हिंदू विवाह अधिनियम] वैवाहिक अधिकारों की बहाली के आदेश का पालन करने में पत्नी की विफलता तलाक का आधार: कर्नाटक हाईकोर्ट
Avanish Pathak
20 Oct 2023 6:37 PM IST
कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक जोड़े के विवाह को समाप्त कर दिया है, क्योंकि पति द्वारा दायर एक आवेदन पर ट्रायल कोर्ट द्वारा दाम्पत्य बहाली का आदेश पारित करने के बाद भी पत्नी पति के साथ रहने के लिए तैयार नहीं हुई थी।
जस्टिस एसआर कृष्ण कुमार और जस्टिस जी बसवराज की खंडपीठ ने पति द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया और परित्याग के आधार पर तलाक की मांग करने वाली उसकी याचिका को खारिज करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया।
रिकॉर्ड देखने पर पीठ ने पाया कि अपीलकर्ता/पति ने 2016 में कानूनी नोटिस जारी कर प्रतिवादी/पत्नी को अपने साथ रहने के लिए कहा था और चूंकि उसने ऐसा नहीं किया, इसलिए अपीलकर्ता ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली की मांग करते हुए एक याचिका दायर की। उक्त याचिका अपीलकर्ता के पक्ष में स्वीकार कर ली गई लेकिन पत्नी उसके साथ नहीं रही और इस प्रकार, अपीलकर्ता (पति) वर्तमान याचिका (तलाक के लिए) दायर करने के लिए बाध्य था।
पीठ ने कहा, "वर्तमान याचिका में भी, प्रतिवादी एक पक्षीय रहा और याचिका का विरोध नहीं किया।"
रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री पर गौर करने पर, अदालत ने कहा कि तलाक लेने के उद्देश्य से अपीलकर्ता द्वारा अनुरोध किया गया विशिष्ट आधार यह था कि प्रतिवादी ने उसे छोड़ दिया है और वर्ष 2013 से अलग रह रही है। इसके अलावा, वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए एक पक्षीय डिक्री प्राप्त करने के बावजूद प्रतिवादी याचिकाकर्ता के साथ नहीं रही और न ही उसने एकतरफा फैसले और डिक्री का पालन किया, "जो हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 (1 ए) (ii) के अर्थ के तहत तलाक के लिए पर्याप्त आधार है।“
अपील को स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा, "अपीलकर्ता और प्रतिवादी के बीच 12.06.2009 को हुआ विवाह तलाक की डिक्री द्वारा भंग कर दिया गया है।"
साइटेशनः 2023 लाइवलॉ (कर) 404
केस टाइटल: XYZ और ABC
केस नंबर: विविध प्रथम अपील संख्या 104251/2017