बहुत कम संभावना है कि गृहिणी पड़ोसियों से अपनी पीड़ा बताएगी: कलकत्ता हाईकोर्ट ने दहेज हत्या के दोष में पति की सजा बरकरार रखी

Avanish Pathak

27 May 2022 3:42 PM GMT

  • कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में आईपीसी की धारा 304 बी के तहत दहेज हत्या के अपराध के लिए पति की सजा को बरकरार रखा। कोर्ट ने यह माना कि पड़ोसियों जैसे गवाहों के लिए यह बताना असंभव है कि क्या पीड़ित गृहिणी को वैवाहिक घर में प्रताड़ित किया गया था या नहीं।

    जस्टिस बिवास पटनायक और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों से नोट किया कि मृतक के शरीर पर चोट के निशान पाए गए थे और लिगेचर मार्क के अलावा, जांच अधिकारियों ने सिर के पिछले हिस्से में सूजन और बायीं हथेली पर चोट के निशान पाए थे।

    कोर्ट ने माना कि यह बहुत कम संभावना है कि मृतक पड़ोसियों जैसे गवाहों को अपने साथ हुई यातना के बारे में बताए। कोर्ट ने कहा कि बचाव पक्ष के गवाह अविश्वसनीय हैं और उनके लिए यह बताना असंभव है कि पीड़ित गृहिणी को वैवाहिक घर में प्रताड़ित किया गया था या नहीं।

    कोर्ट ने नोट किया कि पोस्टमॉर्टम डॉक्टरों ने पीड़िता की गर्दन पर ‌लिगेचर मार्क पाए थे और मृत्यु को फांसी से पहले सांस रुकने से हुई थी। यह भी नोट किया गया था कि डॉक्टर को गर्भाशय में ब्लड क्लॉट और जेस्टेशनल सैक मिला था।

    कोर्ट ने कहा,

    "इन निष्कर्षों से ऐसा प्रतीत होता है कि पीड़ित गृहिणी जो गर्भवती थी उसे दहेज की मांग पर प्रताड़ित किया गया था और उसकी मृत्यु से पहले ससुराल में बेरहमी से हमला किया गया था। इस तरह की यातना को सहन करने में असमर्थ उसने आत्महत्या कर ली।"

    अदालत ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि पीड़िता ने आत्महत्या कर ली थी क्योंकि वह अपने पति की वित्तीय स्थिति से नाखुश थी।

    कोर्ट ने पति के खिलाफ दोषसिद्धि के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा, "ये परिस्थितियां एक अति-भावनात्मक महिला द्वारा आत्महत्या की काल्पनिक दलील को पूरी तरह से खारिज करती हैं जो अपने असफल पति से नाखुश थी।"

    अदालत ने हालांकि सास और ससुर को यह देखने के बाद बरी कर दिया कि दहेज की आगे की मांगों पर पीड़ित गृहिणी पर अत्याचार के संबंध में किसी विशेष प्रत्यक्ष कार्य के लिए ससुर या सास को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है।

    केस टाइटल: राजू मित्रा और अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य

    केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (Cal) 213

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story