हाईकोर्ट ने दिल्ली बार काउंसिल से कहा, 29 नवंबर तक अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही में कोई आदेश पारित न करें

LiveLaw News Network

7 April 2022 12:21 PM GMT

  • हाईकोर्ट ने दिल्ली बार काउंसिल से कहा, 29 नवंबर तक अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही में कोई आदेश पारित न करें

    दिल्ली हाईकोर्ट ने पेशेवर आचरण और शिष्टाचार के मानकों के नियम 8 के कथित उल्लंघन के लिए अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही में दिल्ली बार काउंसिल (बीसीडी) को कोई आदेश पारित करने से रोक दिया।

    अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 49 (1) (सी) के तहत बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा बनाया गया उक्त नियम एक वकील को एक ऐसे संगठन की ओर से एक जनहित मामले में पेश होने से रोकता है, जिसका वह एक पदाधिकारी या इसकी कार्यकारी समिति का सदस्य होता है।

    भूषण अपने शासी निकाय में रहते हुए तीन गैर सरकारी संगठनों सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL), स्वराज अभियान और कॉमन कॉज के लिए वकील के रूप में पेश हुए।

    तदनुसार, बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) ने उनके खिलाफ कार्यवाही शुरू की।

    हाईकोर्ट भूषण द्वारा पूर्वोक्त प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

    उन्होंने प्रस्तुत किया कि अदालत के समक्ष कार्यवाही लंबित होने के बावजूद, बीसीडी ने उनके खिलाफ कार्यवाही की और आदेश सुरक्षित रखा गया।

    दूसरी ओर, बीसीडी ने दलील दी कि उसकी कार्यवाही पर कोई रोक नहीं है।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की खंडपीठ ने शुरुआत में टिप्पणी की,

    "लेकिन जब मामला आज आ रहा है, तो कल बीसीडी की कार्यवाही का क्या मतलब था?"

    इस प्रकार कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख यानी 29 नवंबर तक भूषण के खिलाफ कार्यवाही में अंतिम आदेश पारित करने पर रोक लगा दी।

    अपने बचाव में भूषण ने बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के समक्ष कहा कि नियम 8 उस मामले में लागू नहीं है, जिसमें एक वकील, जो एक गैर-लाभकारी संगठन की कार्यकारी समिति में है, बिना किसी फीस के जनहित के मामले में पेश होता है।

    केस शीर्षक: प्रशांत भूषण बनाम बार काउंसिल ऑफ दिल्ली और अन्य।

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