"याचिका दायर करने का अधिकार आपके रिज्यूम के लिए टूल नहीं": दिल्ली हाईकोर्ट ने वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य पर हुए हानिकारक प्रभाव के लिए मुआवजे की मांग वाली लॉ स्टूडेंट की याचिका खारिज की

Brij Nandan

5 Sep 2022 11:10 AM GMT

  • याचिका दायर करने का अधिकार आपके रिज्यूम के लिए टूल नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट ने वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य पर हुए हानिकारक प्रभाव के लिए मुआवजे की मांग वाली लॉ स्टूडेंट की याचिका खारिज की

    दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स करने रहे लॉ स्टूडेंट शिवम पांडे द्वारा दायर याचिका खारिज की, जिसमें शहर में वायु प्रदूषण के कारण उनके स्वास्थ्य पर हुए हानिकारक प्रभाव के लिए 15 लाख रूपए मुआवजे की मांग की गई थी। इसके साथ ही याचिका में 25 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा भी मांगा गया था।

    जस्टिस यशवंत वर्मा की एकल न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि कानून का छात्र किसी भी भौतिक साक्ष्य को रिकॉर्ड में रखने में विफल रहा, जो वायु प्रदूषण के कारण उसे हुई किसी भी व्यक्तिगत नुकसान को स्थापित कर सके।

    याचिका को गलत बताते हुए अदालत ने इसे खारिज कर दिया और मौखिक रूप से याचिकाकर्ता से कहा,

    "सर याद रखें, कोर्ट एक गंभीर जगह है। फाइलिंग और इस कोर्ट में याचिका दायर करने का आपका अधिकार, केवल आपके रिज्यूम और आप सीवी के लिए एक टूल नहीं है। अगली बार जब आपके पास उठाने के लिए कोई गंभीर मुद्दा हो, तो आपका स्वागत है।"

    जैसा कि अदालत ने याचिकाकर्ता से अपने तर्क के समर्थन में कुछ सबूत दिखाने के लिए कहा कि उसे प्रदूषण के कारण नुकसान हुआ है, याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि ऐसी रिपोर्टें हैं जो बताती हैं कि वायु प्रदूषण के कारण किसी व्यक्ति की जीवन क्षमता लगभग पांच से नौ साल तक कम हो जाती है।

    इस पर जस्टिस वर्मा ने याचिकाकर्ता से पूछा,

    "मैं प्रदूषण और इसके दुष्प्रभावों के विषय पर सामान्य चर्चा नहीं चाहता। मैं आपसे पूछ रहा हूं, हमें रिकॉर्ड से दिखाएं कि आपको नुकसान हुआ है।"

    उन्होंने कहा,

    "चिकित्सा साक्ष्य की कोई भी मेडिकल रिपोर्ट या किसी डॉक्टर की जांच, जिसने दिल्ली के प्रदूषण के कारण आपको होने वाली किसी भी बीमारी के लिए आपका इलाज किया हो।"

    याचिकाकर्ता ने तब अदालत को सूचित किया कि वायु प्रदूषण एक धीमे जहर के रूप में काम कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप उसका जीवन काल लगभग पांच से नौ साल तक कम हो जाएगा।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया,

    "नुकसान केवल मेरे बुढ़ापे के समय होगी, जब मैं 70 या 75 का हो जाऊंग क्योंकि उस समय मेरे जीवन के पांच से छह साल प्रदूषण के कारण घट गए होंगे।"

    याचिका में याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वायु प्रदूषण कई बीमारियों की जड़ है, जिससे मानव स्वास्थ्य पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

    याचिका में कहा गया है,

    "कुछ समस्याओं में सिरदर्द, आंखों में जलन, त्वचा में जलन, श्वसन कार्यों पर प्रभाव और संबंधित रुग्णता शामिल हैं। यह फेफड़ों की गंभीर बीमारी भी पैदा कर सकता है और कैंसर सहित विभिन्न खतरनाक बीमारियों का कारण और जड़ हो सकता है।"

    इसमें कहा गया,

    "स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रदूषण मुक्त स्वच्छ वातावरण बहुत आवश्यक है और वैदिक काल में भी इसे मान्यता दी गई है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कई अवसरों पर स्वस्थ जीवन जीने के लिए मुक्त वातावरण और स्वच्छता के महत्व पर भी बात की है।"

    केस: शिवम पांडे बनाम जीएनसीटीडी

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