कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एक स्कूली बच्चे के माता-पिता को मुआवजा देने पर विचार करने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

19 Aug 2021 10:22 AM GMT

  • कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एक स्कूली बच्चे के माता-पिता को मुआवजा देने पर विचार करने का निर्देश दिया

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह 15 साल के उस लड़के के माता-पिता को मुआवजे की पेशकश करने पर तुरंत विचार करे, जिसकी बिजली का करंट लगने से मौत हो गई थी।

    लड़के को बिजली का करंट उस वक्त लगा था जब वह एक लोहे के खंभा पर चढ़कर स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की तैयारी कर रहा था। उसी खंभे पर वह एक बिजली के तार से छू गया था।

    तुमकुर के करिकेरे में सरकारी प्राथमिक विद्यालय के परिसर में ओवरहेड तारों के संपर्क में आने से लड़के की मौत हो गई थी।

    स्वत: संज्ञान याचिका में एमिकस क्यूरी एडवोकेट बीवी विद्युतुलता ने 16 अगस्त के हिंदू समाचार पत्र में पेश होने वाली एक रिपोर्ट को अदालत के संज्ञान में लाया।

    अखबार की रिपोर्ट में कहा गया था कि तीन लड़के स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की तैयारी कर रहे थे, जब वे तुमकुर के करिकेरे गांव के एक सरकारी स्कूल के परिसर में एक लाइव तार के संपर्क में आए। उन सभी को अस्पताल ले जाया गया। हालांकि, दुर्भाग्य से उनमें से एक चंदन की मृत्यु हो गई। अन्य दो का इलाज चल रहा है।

    मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति एन एस संजय गौड़ा की खंडपीठ ने कहा,

    "हम राज्य सरकार को उक्त घटना को देखने के लिए संबंधित उपायुक्त को निर्देश देने का निर्देश देते हैं। राज्य सरकार मृत लड़के के माता-पिता को तुरंत मुआवजा देने पर विचार करेगी। राज्य यह भी सुनिश्चित करेगा कि अन्य दो लड़कों (शशांक और पवन) को उचित चिकित्सा उपचार दिया जाए। जिले के उपायुक्त यह सुनिश्चित करेंगे कि दोनों का उचित इलाज हो। इलाज का खर्च राज्य सरकार वहन करने पर विचार करेगी।'

    अदालत ने कहा,

    "उपरोक्त निर्देशों का अनुपालन गुरुवार से दो सप्ताह की अवधि के भीतर किया जाएगा। उपायुक्त एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करेंगे। वह मृत्यु प्रमाण पत्र और अन्य दो लड़कों के स्वास्थ्य की स्थिति का चिकित्सा प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत करेंगे। सुनवाई की अगली तारीख को कोर्ट 30 अक्टूबर, 2019 के आदेश के तहत जारी निर्देश के अनुपालन पर भी विचार करेगा।

    पृष्ठभूमि:

    राज्य सरकार द्वारा संचालित पिछड़ा वर्ग प्री-मेट्रिक बॉयज हॉस्टल में नाबालिग छात्रों की मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना की ओर इशारा करते हुए एक पत्र के आधार पर 2019 में स्वत: संज्ञान याचिका शुरू की गई थी। पांचों छात्रों को 11 केवी वाट की विद्युत लाइन के संपर्क में आए फ्लैग पोल को हटाने के लिए निर्देशित किया गया था, जो उस भवन के बहुत करीब था, जिसमें छात्रावास स्थित है। बिजली के झटके से पांच छात्रों की मौत हो गई।

    जनहित याचिका में अब तक कई आदेश पारित किए जा चुके हैं।

    30 अक्टूबर, 2019 के आदेश में कहा गया था कि दुर्भाग्यपूर्ण बच्चों के माता-पिता को कुल 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना है। उक्त आदेश के तहत अन्य निर्देश जारी किए गए थे।

    मामले की अगली सुनवाई छह सितंबर को होगी।

    केस शीर्षक: अखिल भारतीय वकील संघ (सू मोटू) और कर्नाटक राज्य

    केस नंबर: डब्ल्यूपी 38953/2019

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