दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सीनियर सिटीजन एक्ट का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया

Shahadat

4 Aug 2022 7:22 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सीनियर सिटीजन एक्ट का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007) का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

    चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएसएलएसए) को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि अधिनियम के तहत आने वाले व्यक्तियों को किसी भी असुविधा से बचने के लिए कानूनी सहायता तुरंत प्रदान की जाए।

    इसके साथ ही न्यायालय ने जनहित याचिका की प्रकृति में स्वत: संज्ञान की कार्यवाही को बंद कर दिया। उक्त कार्यवाही 23 मई को एडवोकेट नेहा राय की पत्र याचिका के आधार पर शुरू की गई थी। एडवोकेट राय ने उक्त अधिनियम को लागू करने के संबंध में वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला था।

    उक्त पत्र में कहा गया कि वैधानिक प्राधिकरण अर्थात् जिला मजिस्ट्रेट और उप-मंडल मजिस्ट्रेट 2007 के अधिनियम के शीघ्र कार्यान्वयन में विफल हो रहे हैं। बताया गया कि सीनियर सिटीजन की अपीलों पर ध्यान न देकर उन्हें राहत से वंचित कर दिया जाता है, जिससे उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है।

    कोर्ट ने पत्र याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार, जिला कानूनी सेवा प्राधिकरणों, जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) और राष्ट्रीय राजधानी के सभी सब-डिविजनल मजिस्ट्रेटों (एसडीएम) को नोटिस जारी किया था।

    कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों और उप मंडल मजिस्ट्रेटों को 2007 के अधिनियम के तहत व्यक्तिगत शिकायतों के बारे में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।

    न्यायालय ने स्टेटस रिपोर्ट को एक जनवरी, 2022 से वेबसाइट/हेल्पलाइन नंबर पर प्राप्त शिकायतों की संख्या को पूर्ण लॉग के साथ इंगित करने का भी निर्देश दिया था।

    सुनवाई के दौरान, बेंच ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दायर की गई है, जिसमें मामलों की सूची, अधिनियम के तहत प्राप्त आवेदन, उनकी स्थिति के साथ-साथ सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश शामिल हैं।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि उक्त स्टेटस रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) मामले में तुरंत कार्रवाई कर रहे हैं।

    डीएसएलएसए द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, इस बात पर प्रकाश डाला गया कि विशेष मामले में कानूनी सहायता लाभार्थी सपना की शिकायत के संबंध में कार्रवाई की गई। रिपोर्ट में यह भी पता चला कि उक्त लाभार्थी के संबंध में उसके वकील को पूरे दस्तावेज सौंपे गए हैं और मामला अभी भी लंबित है।

    अदालत ने आदेश दिया,

    "एक बार जब सभी दस्तावेज वकील को सौंप दिए गए और देरी के लिए स्टेटस रिपोर्ट में कारण बताए गए तो याचिका में आगे कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। याचिका का तदनुसार निपटारा किया जाता है।"

    कोर्ट ने हालांकि इस प्रकार जोड़ा:

    "हालांकि, जीएनसीटीडी को माता-पिता और सीनियर सिटीजन के देखभाल और कल्याण अधिनियम, 2007 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है। इसके साथ ही डीएसएलएसए यह भी सुनिश्चित करेगा कि ऐसे व्यक्तियों को कानूनी सहायता प्रदान की जाए ताकि उन्हें किसी भी असुविधा से बचा जा सके।"

    केस टाइटल: कोर्ट ऑन इट्स ऑवन मोशन बनाम जीएनसीटीडी

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