हाईकोर्ट खुद माफी की शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट

Avanish Pathak

12 Nov 2022 12:07 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायिक पुनर्विचार की शक्ति का प्रयोग करते हुए हाईकोर्ट खुद माफी की शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता।

    मौजूदा मामले में हत्या के एक मामले में दोषी को 12 साल और 9 महीने की वास्तविक सजा और जब उसने समय से पहले रिहाई की मांग की तो माफी के साथ 14 साल और 6 महीने की सजा मिली थी।

    अधिकारियों ने इस मुद्दे को लंबित रखा, जिसके बाद उन्होंने एक रिट याचिका दायर करके पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने माफी के अनुरोध को खुद इस आधार पर स्वीकार कर लिया कि यह नीतियों द्वारा कवर किया गया है।

    हरियाणा राज्य ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस आदेश का विरोध करते हुए तर्क दिया कि जज केवल संबंधित अधिकारियों को माफी के मुद्दे की जांच करने का निर्देश दे सकता था और/या निर्णय लेने के लिए एक समय सीमा दे सकता था और उसे खुद अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं करना चाहिए था।

    जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने कहा,

    "हम इस संबंध में याचिकाकर्ता के विद्वान वकील के प्रस्तुतीकरण के साथ सहमत हैं कि विद्वान जज के न्यायिक पुनर्विचार के क्षेत्र में नहीं था कि वह स्वयं माफी की शक्ति का प्रयोग करें।

    अदालत ने हालांकि नोट किया कि दोषी 9 महीने पहले बरी हो गया है और उसे वापस हिरासत में भेजने और एक बार फिर से माफी के अनुरोध की जांच करने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।

    कोर्ट ने कहा,

    "हालांकि आक्षेपित निर्णय में हम कानून के अनुसार शक्ति का प्रयोग नहीं पाते हैं। हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत हस्तक्षेप नहीं करना चाहेंगे क्योंकि अब प्रतिवादी को माफी का लाभ दिया गया है और उसे वापस हिरासत में रखना उचित नहीं होगा।"

    एक अन्य फैसले [राम चंदर बनाम छत्तीसगढ़ राज्य | 2022 LiveLaw (SC) 401] में सुप्रीम कोर्ट ने देखा था कि हालांकि अदालत सरकार के फैसले पर पुनर्विचार कर सकती है कि क्या यह मनमाना था। वह सरकार की शक्ति को हड़प नहीं सकती और खुद माफी नहीं दे सकती। जहां कार्यपालिका द्वारा शक्ति का प्रयोग मनमाना पाया जाता है, अधिकारियों को दोषी के मामले पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया जा सकता है।

    केस डिटेलः हरियाणा राज्य बनाम दया नंद | 2022 लाइव लॉ 2022 लाइवलॉ (SC) 948 | एसएलपी (सीआरएल) 10687/2022 | 10 नवंबर 2022 | जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओका

    आदेश पढ़ने डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story