डिटेंशन सेंटर्स की कमी के बीच जेल में बंद असहाय अप्रवासी: कर्नाटक कानूनी सेवा प्राधिकरण ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका, नोटिस जारी

Avanish Pathak

2 Aug 2022 11:01 AM GMT

  • डिटेंशन सेंटर्स की कमी के बीच जेल में बंद असहाय अप्रवासी: कर्नाटक कानूनी सेवा प्राधिकरण ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका, नोटिस जारी

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा दायर एक याचिका पर यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया, जिसमें निर्वासन का इंतजार कर रहे अवैध अप्रवासियों के डिटेंशन के लिए राज्य में सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ पर्याप्त संख्या में डिटेंशन सेंटर स्थापित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

    कार्यवाहक चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस एस विश्वजीत शेट्टी की खंडपीठ ने नोटिस जारी किया। याचिका में प्रतिवादी नंबर एक और तीन को अदालत द्वारा तय की जा सकने वाली समय सीमा के भीतर राज्य में अवैध प्रवासियों के निर्वासन के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।

    याचिका में कहा गया है कि 09-09-2021 को मैंगलोर में लगभग 38 श्रीलंकाई नागरिकों को बिना वैध दस्तावेजों के पकड़ा गया था। उन्हें कनाडा ले जाने का वादा किया गया था उन्होंने और उनके परिजनों ने संबंधित एजेंटों को कनाडा में उन्हें सुव‌िधाएं उपलब्ध कराने के लिए पैसे दिए थे। भारतीय दंड संहिता की धारा 120B, 370, 420, विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 14, पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 12(1A) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए मामला दर्ज किया गया था।

    मामले की जांच बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी को स्थानांतरित कर दी गई थी। जांच के बाद 5 सितंबर, 2021 को मामले में एक अंतिम रिपोर्ट दर्ज की गई। जांच से पता चला कि 38 श्रीलंकाई नागरिक, जिन्हें शुरू में एफआईआर में आरोपी के रूप में रखा गया था और जिन्हें बैंगलोर सेंट्रल जेल में हिरासत में लिया गया था, वास्तव में मानव तस्करी के पीड़ित थे और इसलिए उन्हें मामले में गवाह के रूप में माना गया।

    जांच अधिकारी ने सरकार से अनुरोध किया कि वे श्रीलंकाई नागरिकों को उनके काउंटी में निर्वासित करें और उन्हें उनके निर्वासन तक फॉरेनर्स डिटेंशन सेंटर, नेलामंगला, बैंगलोर में रखा जाए। ट्रायल कोर्ट ने जांच अधिकारी को 30-10-2021 के आदेश के तहत उक्त 38 श्रीलंकाई नागरिकों को निर्वासन केंद्र में स्थानांतरित करने का भी निर्देश दिया। हालांकि, फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर/एफआरआरओ, बैंगलोर ने 14-09-2021 को ट्रायल कोर्ट को एक पत्र भेजा है जिसमें कहा गया कि उक्त केंद्र में केवल 35 व्यक्ति रह सकते हैं और उक्त केंद्र में पहले से ही 27 व्यक्ति बंद हैं और वह 38 श्रीलंकाई नागरिकों को समायोजित करने में असमर्थ है। उसी के मद्देनजर सभी 38 श्रीलंकाई नागरिकों को बैंगलोर सेंट्रल जेल में बंद रखा गया।

    इसके अलावा याचिका में कहा गया है, 12-05-2022 को सदस्य सचिव जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण ने कर्नाटक राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण / याचिकाकर्ता को 11-05-2022 को केंद्रीय जेल की अपनी यात्रा के बारे में रिपोर्ट भेजी। निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश के बावजूद उपायुक्त/प्रतिवादी संख्या 5 द्वारा डिटेंशन सेंटर स्थापित नहीं किए गए हैं, आज तक सभी 38 पीड़ितों को जेल में बंद रखा गया है। इस प्रकार संबंधित अधिकारी डिटेंशन सेंटर स्थापित करने के न्यायालय के आदेश का पालन करने में अपने वैधानिक कर्तव्य में विफल रहे हैं।

    यह कहा गया,

    "38 श्रीलंकाई नागरिकों को जेल में रखना मनमाना, अवैध और असंवैधानिक है, उन व्यक्तियों के अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है जिनकी गारंटी भारत के संविधान द्वारा दी गई है।"

    आगे कहा गया , "केंद्र और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अप्रवासी पीड़ितों के लिए भोजन, पानी और आश्रय की बुनियादी जरूरतें उपलब्ध कराने की दिशा में आवश्यक व्यवस्था करके असहाय प्रवासियों के लिए डिटेंशन सेंटर स्थापित करें। डिटेंशन सेंटर स्थापित किए बिना श्रीलंकाई नागरिकों को जेल में बंद करना उचित नहीं है।"

    केस टाइटल: कर्नाटक राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य

    केस नं: WP 12862/2022

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