हाथरस केस : एकमात्र दोषी संदीप सिसोदिया को यूपी कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई

Sharafat

2 March 2023 2:28 PM GMT

  • हाथरस केस : एकमात्र दोषी संदीप सिसोदिया को यूपी कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई

    उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले की एक अदालत ने सितंबर 2020 के कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले (19 वर्षीय दलित लड़की से संबंधित) के एकमात्र दोषी (संदीप सिसोदिया) को गुरुवार आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

    स्पेशल जज त्रिलोक पाल सिंह की अदालत, हाथरस (SC/ST, Pev. of Atroci Act) ने संदीप सिसोदिया को भारतीय दंड संहिता (धारा 304) के तहत गैर इरादतन हत्या के अपराधों और भारतीय दंड संहिता (धारा 304) के तहत अपराधों के लिए दोषी मानते हुए सज़ा सुनाई।

    अन्य तीन आरोपी - रवि (35), लव कुश (23), और रामू (26) -को आरोपों से बरी कर दिया गया है। हालांकि, चार आरोपियों में से किसी को भी विशेष अदालत ने गैंगरेप, या हत्या के अपराध का दोषी नहीं पाया है।

    उल्लेखनीय है कि मामले में पीड़िता को 14 सितंबर, 2020 को यूपी के हाथरस जिले में चार लोगों द्वारा कथित रूप से अगवा कर लिया गया था और उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उसकी हड्डियों को तोड़कर और उसकी जीभ काटकर क्रूर यातना दी गई थी।

    29 सितंबर 2020 को पीड़िता का निधन हो गया और उनके परिवार की सहमति के बिना आधी रात को पुलिस अधिकारियों (कथित तौर पर हाथरस डीएम के निर्देश पर) द्वारा उसका अंतिम संस्कार किया गया।

    हड़बड़ी में किए गए दाह संस्कार को "बेहद संवेदनशील" मामला बताते हुए नागरिकों के बुनियादी मानवीय/मौलिक अधिकारों को छूते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2020 में पूरे प्रकरण का स्वत: संज्ञान लिया था।

    अदालत ने कहा,

    " राज्य को व्यक्ति के शरीर को गरिमा के साथ व्यवहार करने की अनुमति देकर एक मृत व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए और जब तक कि मृत्यु के कारण का पता लगाने के लिए एक अपराध स्थापित करने के प्रयोजनों के लिए आवश्यक न हो और पोस्टमॉर्टम या किसी वैज्ञानिक जांच, चिकित्सा शिक्षा के अधीन हो या कानून के अनुसार किसी अन्य व्यक्ति के जीवन को बचाने के लिए हो, मृत शरीर का संरक्षण और मानवीय गरिमा के अनुसार उसका निपटान करना चाहिए। ”

    पीड़िता के जल्दबाजी में अंतिम संस्कार के लिए यूपी प्रशासन द्वारा दिए गए कारणों से असंतुष्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2020 को पूरी घटना पर नाराजगी व्यक्त की और पीड़िता और उसके परिवार के मानवीय और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए स्थानीय अधिकारियों को फटकार लगाई।

    जस्टिस पंकज मिथल और राजन रॉय की खंडपीठ ने देखा था,

    " भारत एक ऐसा देश है जो मानवता के धर्म का पालन करता है, जहां हममें से प्रत्येक को जीवन और मृत्यु में एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। हालांकि, उपरोक्त तथ्य और परिस्थितियां अब तक, यह प्रकट करती हैं कि दाह संस्कार करने का निर्णय रात में पीड़िता का शव परिजनों को सौंपे बिना अथवा उनकी सहमति से स्थानीय स्तर पर प्रशासन द्वारा संयुक्त रूप से हाथरस के जिलाधिकारी के आदेश पर अमल में लाया गया। कानून और व्यवस्था की स्थिति के नाम पर, प्रथम दृष्टया पीड़िता और उसके परिवार के मानवाधिकारों का उल्लंघन है।"

    मामले की जांच अक्टूबर 2020 में सीबीआई को स्थानांतरित कर दी गई थी। सीबीआई ने दिसंबर 2020 में चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।

    Next Story