मुस्लिम महिलाओं पर 'अपमानजनक' टिप्पणी: हरिद्वार कोर्ट ने मामले की 'गंभीरता' का हवाला देते हुए नरसिंहानंद की जमानत अर्ज़ी खारिज की

LiveLaw News Network

20 Jan 2022 1:16 PM GMT

  • मुस्लिम महिलाओं पर अपमानजनक टिप्पणी: हरिद्वार कोर्ट ने मामले की गंभीरता का हवाला देते हुए नरसिंहानंद की जमानत अर्ज़ी खारिज की

    उत्तराखंड कोर्ट (हरिद्वार) ने उत्तर प्रदेश में शक्तिशाली डासना देवी मंदिर के प्रमुख यति नरसिंहानंद को मुस्लिम महिलाओं पर कथित आपत्तिजनक और अपमानजनक टिप्पणी पर दर्ज एक मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया।

    मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी

    इस मामले में आरोप लगाया गया है कि नरसिंहानंद ने सोशल मीडिया पर मुस्लिम महिलाओं पर आपत्तिजनक/अपमानजनक और अभद्र टिप्पणियां की थीं।

    नरसिंहानंद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 295ए और 509 के तहत मामला दर्ज किया गया है , जिसमें आरोप लगाया गया है कि उसके दो वीडियो, जो ट्विटर और यूट्यूब पर पोस्ट किए गए थे, 7न वीडियो में नरसिंहानंद को मुस्लिम महिलाओं के प्रति आपत्तिजनक/अपमानजनक टिप्पणी करते देखा गया।

    कथित तौर पर नरसिंहानंद को यह कहते हुए देखा गया कि मुसलमानों ने सब कुछ कब्जा कर लिया है। वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए हैं। उन्होंने आरएसएस पर कब्जा कर लिया है और इस्लाम की सेवा के लिए उनकी महिलाएं अपने पुरुष की मिस्ट्रेस के रूप में काम करती हैं और वह वे (महिलाएं) उनकी सबसे बड़ी ताकत हैं।

    इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद नरसिंहानंद को 16 जनवरी, 2022 को गिरफ्तार किया गया और उसके बाद हरिद्वार कोर्ट (मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, हरिद्वार की अदालत) के समक्ष जमानत याचिका दायर की गई।

    ज़मानत याचिका दायर करते हुए नरसिंहानंद ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि वह निर्दोष है और इस मामले में झूठा फंसाया गया है और प्राथमिकी रिपोर्ट में उसके खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं लगाया गया है।

    याचिका में यह भी तर्क दिया गया था कि प्राथमिकी में यह नहीं बताया गया है कि किसी समुदाय के खिलाफ क्या बयान दिया गया था और कथित बयानों से किसकी भावनाओं को ठेस पहुंची।

    याचिका में तर्क दिया कि एफआईआर दर्ज करवाने में देरी हुई और याचिकाकर्ता में खिलाफ रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है और चूंकि वह गंभीर रूप से बीमार हैं इसलिए आवेदक को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

    कोर्ट का आदेश

    सीजेएम मुकेश आर्य ने अभियोजन पक्ष द्वारा दायर दस्तावेजों और एफआईआर का अवलोकन किया और उसके बाद कहा,

    पूर्व में सीआरपीसी की धारा 41ए का नोटिस जारी होने के बावजूद याचिकाकर्ता सोशल मीडिया के माध्यम से धार्मिक सद्भाव/माहौल खराब कर साम्प्रदायिक भावनाओं को भड़काने के संबंध में बार-बार टिप्पणी कर रहा है और क्षेत्र में गंभीर अपराध होने की प्रबल संभावना है। "

    इसके अलावा यह देखते हुए कि आरोपी द्वारा कथित रूप से किया गया अपराध गंभीर प्रकृति का है, सीजेएम की अदालत ने यह भी देखा कि उसके खिलाफ सोशल मीडिया, ट्विटर और यूट्यूब पर मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक/अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप है।

    इस पृष्ठभूमि में कोर्ट ने नरसिंहानंद की जमानत अर्जी खारिज कर दी।

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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