हापुड घटना: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य को वकीलों के खिलाफ 'पुलिस हिंसा' की जांच करने वाली एसआईटी में रिटायर्ड जज को शामिल करने और वकीलों की शिकायतें दर्ज करने का निर्देश दिया

Sharafat

5 Sep 2023 3:34 AM GMT

  • हापुड घटना: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य को वकीलों के खिलाफ पुलिस हिंसा की जांच करने वाली एसआईटी में रिटायर्ड जज को शामिल करने और वकीलों की शिकायतें दर्ज करने का निर्देश दिया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को हापुड़ में वकीलों पर कुछ पुलिसकर्मियों द्वारा किए गए लाठीचार्ज को लेकर यूपी में चल रही वकीलों की हड़ताल के बीच यूपी सरकार को घटना की जांच कर रही एसआईटी में एक सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी को शामिल करने का निर्देश दिया।

    वकीलों ने दावा किया कि एसआईटी में किसी भी न्यायिक अधिकारी को शामिल न किया जाना इसे "पूरी तरह से एकतरफा" बनाता है।

    मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी की खंडपीठ ने आदेश दिया,

    "राज्य सरकार श्री हरि नाथ पांडे, सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश, फैमिली कोर्ट, लखनऊ को एसआईटी में एक सदस्य के रूप में शामिल करेगी, जो पहले से ही राज्य सरकार द्वारा संबंधित घटना की जांच के लिए गठित की गई है। इसकी जांच करें और यथाशीघ्र अपनी रिपोर्ट सीलबंद कवर में जमा करें। इसकी एक अंतरिम रिपोर्ट अगली तारीख तक न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।''

    एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने कहा कि एसआईटी में न्यायिक अधिकारी को शामिल करने पर राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं है।

    हापुड घटना के संबंध में वकीलों की एफआईआर दर्ज करने और जांच करने के लिए पुलिस अधीक्षक को आगे निर्देश जारी किया गया है। ऐसा तब हुआ जब हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अशोक सिंह ने अदालत को सूचित किया कि "मामले में केवल एक तरफा एफआईआर दर्ज की गई है और वकीलों के अथक प्रयासों के बावजूद आज तक उनकी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।"

    हाईकोर्ट ने सोमवार को हापुड घटना का स्वत: संज्ञान लिया था जिसके बाद बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश ने 30 अगस्त और 4 सितंबर को वकीलों द्वारा राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा की थी, जो 5 और 6 सितंबर को जारी रहने की बात कही गई।

    इस संबंध में कोर्ट ने कहा,

    " बार एसोसिएशनों/काउंसिलों के हड़ताल करने की इस न्यायालय और माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी लगातार आलोचना की गई है क्योंकि वकीलों की ओर से इस तरह के कृत्य न केवल वादियों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि यह प्रशासन को भी प्रभावित करते हैं।"

    न्याय स्वयं हमारे संवैधानिक लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

    वकीलों के प्रतिनिधि निकाय को अपने सदस्यों की ओर से शिकायत उठाने का अधिकार है लेकिन यह इस तरह से होना चाहिए कि न्याय का अंतिम उद्देश्य ही पराजित न हो। जिम्मेदार नागरिक और न्याय वितरण प्रणाली के सैनिकों के रूप में हम उम्मीद करते हैं कि वकील और उनके प्रतिनिधि निकाय बड़े पैमाने पर समाज के प्रति अपने दायित्वों के प्रति जागरूक होंगे और जिम्मेदार तरीके से कार्य करेंगे।

    न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश और राज्य भर के संबंधित बार एसोसिएशनों के साथ-साथ इस न्यायालय और लखनऊ में इसकी पीठ से काम फिर से शुरू करने का आग्रह किया ताकि हाईकोर्ट की ओर से किसी भी अप्रिय कार्रवाई को रोका जा सके।

    बेंच ने कहा,

    " हम आशा और विश्वास करते हैं कि बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश, साथ ही राज्य भर के संबंधित बार एसोसिएशन और साथ ही यह न्यायालय और लखनऊ में इसकी बेंच आत्मनिरीक्षण करेगी और निर्धारित कानून का सम्मान करते हुए कार्य करेगी।

    भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस प्रकार आदेश दिया गया कि इस न्यायालय को मामले में कोई अप्रिय कदम उठाने और तुरंत अपना काम फिर से शुरू करने की आवश्यकता नहीं है। हम यह भी स्पष्ट करते हैं कि किसी भी पीड़ित व्यक्ति के साथ कोई अन्यायपूर्ण व्यवहार किए जाने की स्थिति में इस न्यायालय के दरवाजे खुले रहेंगे।''

    अब इस मामले की सुनवाई 15 सितंबर को होगी।

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