गुजरात हाईकोर्ट ने कथित नाबालिग बलात्कार पीड़िता को 'अपने जोखिम पर' टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी पर जोर देने की अनुमति दी

Shahadat

18 Feb 2023 6:39 AM GMT

  • गुजरात हाईकोर्ट ने कथित नाबालिग बलात्कार पीड़िता को अपने जोखिम पर टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी पर जोर देने की अनुमति दी

    गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कथित बलात्कार पीड़िता (नाबालिग) को अपने जोखिम पर टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी करने की अनुमति दी। इस पीड़िता ने मेडिकल बोर्ड द्वारा बताए गए जोखिमों के बावजूद 19 सप्ताह और 4 दिनों के अपनी टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी पर जोर दिया, जिसके बाद कोर्ट ने उसे अपनी रिस्क पर ऐसा करने कीअनुमति दी।

    जस्टिस इलेश जे वोरा ने कहा कि मेडिकल बोर्ड का गठन करने वाले डॉक्टर इस मामले में किसी भी मुकदमे की स्थिति में सुरक्षित रहेंगे।

    कोर्ट ने कहा,

    "याचिकाकर्ता और उसके वकील को इसमें शामिल जोखिम कारकों के बारे में भी स्पष्ट किया जाता है और याचिकाकर्ता को अपने जोखिम पर टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी की प्रक्रिया से गुजरना होगा। आगे यह स्पष्ट किया जाता है कि डॉक्टर, जिन्होंने रिकॉर्ड पर अपनी राय दी है, वे वर्तमान याचिका से उत्पन्न होने वाली किसी भी मुकदमेबाजी की स्थिति से सुरक्षित रहेंगे।"

    न्यायालय ने ज़िले के जनरल हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट/सीनियर स्त्री रोग विशेषज्ञ को आदेश दिया कि वह याची के मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी की प्रक्रिया अतिशीघ्र कराने की व्यवस्था करें।

    हाईकोर्ट ने 14 फरवरी को मेडिकल सुपरिटेंडेंट, सिविल हॉस्पिटल, पालनपुर, जिला को आदेश दिया। याचिकाकर्ता को टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी की अनुमति देने से पहले बनासकांठा को विस्तृत मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया।

    यह आदेश दिया गया,

    "डॉक्टरों की टीम पीड़िता की जांच करेगी और उसके साथ बातचीत के बाद प्रेग्नेंसी के उन्नत चरण और उसकी फिजिकल और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द लिखित राय देगी कि क्या पीड़िता के जीवन के लिए बड़ा जोखिम हो सकता है, अगर बच्चा पैदा होगा। साथ ही यह पता लगाने के लिए कि क्या टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी मेडिकल रूप से संभव है, इस तथ्य पर विचार करते हुए कि वह कथित रूप से बलात्कार की शिकार है और उसके अभिभावक उसकी टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी करने का इरादा रखते हैं।"

    मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर राज्य ने कहा कि चूंकि प्रेग्नेंसी अग्रिम चरण में है, यह याचिकाकर्ता और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक होगा।

    हालांकि, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता पीड़िता है और उसे अपने जोखिम पर टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी करने की अनुमति दी जा सकती है।

    विशेष आपराधिक आवेदन की अनुमति देते हुए अदालत ने निम्नानुसार आदेश दिया,

    "ऐसा प्रतीत होता है कि चूंकि याचिकाकर्ता अपने जोखिम पर टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी करने की इच्छुक है, इसलिए याचिकाकर्ता को सिविल अस्पताल में टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी कराने की अनुमति दी जाती है ... तदनुसार, मेडिकल सुपरिटेंडेंट/सीनियर स्त्री रोग विशेषज्ञ, जनरल हॉस्पिटल... से अनुरोध है कि याचिकाकर्ता के टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी की प्रक्रिया जल्द से जल्द कराने की व्यवस्था करें।”

    केस टाइटल: जीवीवी बनाम गुजरात राज्य | आर/विशेष आपराधिक आवेदन नंबर 2136/2023

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