गुजरात हाईकोर्ट ने जस्टिस सोनिया गोकानी के खिलाफ 'अपमानजनक' भाषा का इस्तेमाल करने वाले 64 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ अवमानना के आरोप तय किए

LiveLaw News Network

21 April 2022 7:30 AM GMT

  • गुजरात हाईकोर्ट ने जस्टिस सोनिया गोकानी के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने वाले 64 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ अवमानना के आरोप तय किए

    गुजरात हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 में जस्टिस सोनिया गोकानी के खिलाफ 'अपमानजनक भाषा' का उपयोग करने के लिए 64 वर्षीय व्यक्ति (आनंद एच गोस्वामी) के खिलाफ अवमानना ​​​​का आरोप तय किए।

    कोर्ट ने पाया कि आपराधिक विविध के संदर्भ में 2012 की आवेदन नंबर 12353, गोस्वामी/प्रतिवादी ने फरवरी 2013 में जस्टिस गोकानी के चरित्र और क्षमता पर अनुचित मानहानिकारक दावा किया था।

    उल्लेखनीय है कि आनंद एच. गोस्वामी/प्रतिवादी के खिलाफ अवमानना ​​​​मामला नवंबर 2013 में शुरू किया गया था, जब एचसी ने प्रथम दृष्टया राय दी थी कि गोस्वामी ने जस्टिस गोकानी के खिलाफ उनके द्वारा किए गए संचार में अवमानना ​​​​भाषा का इस्तेमाल किया था।

    गौरतलब है कि जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस आरपी धोलारिया की बेंच ने 29 नवंबर 2013 को गोस्वामी को नोटिस जारी किया था।

    अब 19 अप्रैल, 2022 को चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री की बेंच ने गोस्वामी पर इस प्रकार आरोप लगाया है:-

    1. यह कि आपने इस न्यायालय के माननीय न्यायाधीश के विरुद्ध मानहानिकारक भाषा का प्रयोग किया है। इस प्रकार आपने माननीय न्यायाधीश के चरित्र और क्षमता पर अनुचित मानहानिकारक बयान देकर 2012 की आवेदन संख्या 12353 आपराधिक विविध के संदर्भ में व्यक्तिगत न्यायाधीश और समग्र रूप से न्यायालय पर हमला करने का प्रयास किया है।

    2. न्यायालय की अवमानना ​​अधिनियम 1971 की धारा 2(c)(i), (ii) और (iii) के तहत परिभाषित एक आपराधिक अवमानना ​​के समान है। न्यायाधीशों की शत्रुतापूर्ण आलोचना और अनुचित हमले किसी न्यायाधीश या न्यायालय द्वारा दिनांक 2.9.2013 को अभ्यावेदन/शिकायत प्रस्तुत करना न्यायालयों की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 की धारा 2(सी) के अर्थ में न्यायालयों को बदनाम करने के समान होगा।

    3. आपके द्वारा इस्तेमाल की गई अपमानजनक भाषा आनंदगिरि हरिगिरी गोस्वामी का इरादा और उद्देश्य न्यायालय को बदनाम करना है। इस तरह के कृत्य न्यायालयों की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 की धारा 2 (सी) की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं।

    इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि इन कृत्यों के माध्यम से गोस्वामी ने न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने और बाधित करने का प्रयास किया था। अदालत की अवमानना ​​अधिनियम की धारा 11 और 12 के तहत दंडनीय उक्त कृत्यों का संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने निर्देश दिया कि उक्त आरोप पर अदालत द्वारा गोस्वामी पर मुकदमा चलाया जाए।

    मामले को अब आगे की सुनवाई के लिए 10 जून, 2022 को सूचीबद्ध किया गया है।

    केस का शीर्षक - स्वतः संज्ञान बनाम आनंद एच गोस्वामी [आर/आपराधिक विविध आवेदन नंबर 2013 का 18552]

    ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



    Next Story