वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान वकीलों के गाउन न पहनने पर हाईकोर्ट ने जताई आपत्ति, कहा- वर्चुअल पेशी के लिए भी ड्रेस कोड अनिवार्य

Amir Ahmad

30 Jun 2025 9:51 AM

  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान वकीलों के गाउन न पहनने पर हाईकोर्ट ने जताई आपत्ति, कहा- वर्चुअल पेशी के लिए भी ड्रेस कोड अनिवार्य

    गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में वकीलों द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए सुनवाई के लिए निर्धारित गाउन पहने बिना पेश होने पर कड़ी आपत्ति जताई है।

    जस्टिस एम.के. ठक्कर की पीठ ने कहा कि वकीलों के लिए कोर्टरूम की मर्यादा बनाए रखना और पेशेवर ड्रेस कोड का पालन करना अनिवार्य है भले ही वे वर्चुअल पेशी कर रहे हों।

    कोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वर्चुअल उपस्थिति कोर्टरूम में शारीरिक उपस्थिति के बराबर है। इसे उसी स्तर की औपचारिकता के साथ माना जाना चाहिए।

    इस संबंध में न्यायालय ने गुजरात हाईकोर्ट नियम, 1993, बार काउंसिल ऑफ इंडिया नियम, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए गुजरात हाईकोर्ट नियम और फरवरी, 2024 में सर्कुलर के माध्यम से जारी हाइब्रिड सुनवाई के लिए संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का हवाला दिया। न्यायालय ने कहा कि इन प्रावधानों के तहत वकीलों को अपनी उपस्थिति के तरीके की परवाह किए बिना उचित पेशेवर पोशाक में उपस्थित होना अनिवार्य है।

    बता दें, पीठ ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि यदि कोई अधिवक्ता वर्चुअल सुनवाई के दौरान अनुचित पोशाक में आता है तो उसका सुनने का अधिकार वापस ले लिया जाएगा। अपने आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए न्यायालय ने रजिस्ट्रार जनरल को मामले को चीफ जस्टिस के समक्ष रखने और सभी संबंधितों को इस आवश्यकता के बारे में सूचित करने और भविष्य में इसका सख्ती से पालन करने के लिए एक उचित सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया।

    संबंधित समाचार में हाल ही में एक व्यक्ति का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह कथित तौर पर अपने शौचालय से गुजरात हाईकोर्ट की वर्चुअल कार्यवाही में शामिल हो रहा था।

    इस साल की शुरुआत में हाईकोर्ट ने शौचालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालती कार्यवाही में भाग लेने के लिए एक व्यक्ति पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। संबंधित व्यक्ति को दो सप्ताह तक हाईकोर्ट परिसर में बगीचों की सफाई करके सामुदायिक सेवा करने का भी निर्देश दिया गया था।

    2020 में गुजरात हाईकोर्ट ने एक वकील के "गैर-जिम्मेदाराना आचरण" पर कड़ा रुख अपनाया था, जिसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालती कार्यवाही के दौरान धूम्रपान करते देखा गया था और उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।

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