गुजरात हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोपों पर जांच के बिना सेवा समाप्त करने का आदेश निरस्त किया, कर्मचारी को बहाल करने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

16 April 2022 11:06 AM GMT

  • गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी बिना किसी जांच के सेवा समाप्ति (termination) का आदेश रद्द कर दिया।

    कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को बहाल किया जाए, लेकिन उसे नो वर्क, नो पे के सिद्धांत पर विचार करते हुए वेतन देने से इनकार कर दिया। उक्त फैसला गुजरात राज्य बनाम चेतन जयंतीलाल राजगोर में इसी तरह के तथ्यों में एक डिवीजन बेंच द्वारा लागू किया गया है।

    जस्टिस बीरेन वैष्णव की पीठ प्रतिवादी प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें याचिकाकर्ता, सहायक मोटर वाहन निरीक्षक वर्ग- III पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(डी) और 13(2) और धारा 7, 8, 12 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया।

    याचिकाकर्ता ने सेवा समाप्ति के आदेश को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता को बिना उचित नोटिस और जांच के कदाचार और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप के आधार पर हटा दिया गया था।

    पीठ ने कामिनीबेन ठाकोरभाई पटेल बनाम गुजरात राज्य पर भरोसा किया, जिसमें यह आयोजित किया गया था:

    "जब अपीलकर्ता याचिकाकर्ताओं के खिलाफ सेवा समाप्ति (टर्मिनेशन) के आदेश को पारित किया गया और एकल न्यायाधीश के समक्ष लगाए गए उपरोक्त सिद्धांतों के आलोक में विचार किया जाता है तो यह देखा जा सकता है कि सेवा समाप्ति याचिकाकर्ता के कथित कदाचार पर आधारित है कि कम से कम स्थानांतरण की मांग करने के लिए इस तरह के निर्माण की प्रक्रिया के पक्ष के रूप में उन्होंने दस्तावेजों को गढ़ा है और स्थानांतरण आवेदन जमा करके कदाचार किया है वह अस्वीकार्य है। अन्यथा आदेश कदाचार के आधार पर प्रकट है कि यह कलंक आदेश बन गया। ऐसा नहीं हो सकता कि जांच के बिना आदेश पारित कर दिया जाए।"

    आदेश में कहा गया,

    " सेवा समाप्ति के दिनांक 16.3.2017 के आदेश को निरस्त एवं अपास्त किया जाता है। याचिकाकर्ता को आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तिथि से दस सप्ताह के भीतर बिना बकाया वेतन के बहाल करने का निर्देश दिया जाता है।"

    पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रतिवादी अधिकारियों को कानून के अनुसार कथित कदाचार के लिए याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोका जाएगा।

    केस शीर्षक: हिरेन दह्याभाई राठौड़ बनाम गुजरात राज्य

    केस नंबर: सी/एससीए/15471/2020

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