गुजरात हाईकोर्ट ने साबरमती आश्रम पुनर्विकास के खिलाफ महात्मा गांधी के परपोते की जनहित याचिका में नोटिस जारी किया

Brij Nandan

16 Jun 2022 8:49 AM GMT

  • गुजरात हाईकोर्ट ने साबरमती आश्रम पुनर्विकास के खिलाफ महात्मा गांधी के परपोते की जनहित याचिका में नोटिस जारी किया

    गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने राज्य सरकार और अन्य लोगों को महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी की ओर से दायर जनहित याचिका (पीआईएल) में नोटिस जारी किया, जो अहमदाबाद में साबरमती आश्रम (Sabarmati Ashram) के पुनर्निर्माण / पुनर्विकास के लिए 1,200 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत पर गुजरात सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं।

    चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री की पीठ ने राष्ट्रीय गांधी स्मारक निधि, खादी ग्रामोद्योग प्रयोग समिति, हरिजन आश्रम ट्रस्ट, साबरमती आश्रम गौशाला ट्रस्ट, साबरमती आश्रम संरक्षण स्मारक ट्रस्ट (एसएपीएमटी), साबरमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड और अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) को भी नोटिस जारी किया है।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि गांधी ने प्रस्तावित पुनर्विकास को चुनौती देते हुए पिछले साल एचसी के समक्ष वर्तमान याचिका दायर की थी।

    उनका मामला है कि पुनर्विकास योजना महात्मा गांधी की व्यक्तिगत इच्छाओं और वसीयत के विपरीत है और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के मंदिर और स्मारक के महत्व को कम कर देगी, और इसे एक वाणिज्यिक पर्यटक आकर्षण में बदल देगी।

    उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि यह परियोजना साबरमती आश्रम की भौतिक संरचना को बदल देगी और गांधीजी की विचारधारा को मूर्त रूप देने वाली इसकी प्राचीन सादगी को भ्रष्ट कर देगी।

    इसके अलावा, उन्होंने यह कहते हुए अपनी आशंका भी व्यक्त की है कि पुनर्विकास की प्रकृति और परियोजना की अवधारणा और निष्पादन में सरकारी अधिकारियों की अधिक भागीदारी के साथ, आश्रम गांधीवादी लोकाचार खो सकता है।

    हालांकि, पिछले साल नवंबर में, गुजरात हाईकोर्ट ने इस याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि गांधी के सभी भय और आशंकाएं सरकार के आदेश में समाप्त की गई हैं।

    हाईकोर्ट ने आदेश के माध्यम से गांधी आश्रम स्मारक के व्यापक विकास के उद्देश्य से शासन और कार्यकारी परिषद बनाने वाले उद्योग और खान विभाग, गुजरात द्वारा जारी सरकारी संकल्प दिनांक 05.03.2021 को रद्द करने से भी इनकार कर दिया था।

    उसी आदेश को चुनौती देते हुए गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, और अप्रैल 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट को वापस भेज दिया था, गांधी द्वारा याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट को याचिका को खारिज नहीं करना चाहिए था।

    जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा था कि याचिका को सरसरी तौर पर खारिज करने के बजाय हाईकोर्ट के लिए उठाए गए मुद्दे पर फैसला करना उचित होता।

    गांधी की अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया और मैरिट पर निर्णय के लिए मामले को हाईकोर्ट में वापस से भेज दिया।

    कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि उसने मामले के मैरिट पर कुछ भी व्यक्त नहीं किया है और सभी तर्कों को खुला छोड़ दिया गया है।

    अब, मंगलवार को हाईकोर्ट ने उक्त अधिकारियों को नोटिस जारी किया और मामले को 7 जुलाई, 2022 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

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