'गुजरात सरकार को COVID-19 के सही आंकड़ों को प्रकाशित करने में संकोच नहीं करना चाहिए': गुजरात हाईकोर्ट ने पारदर्शिता पर जोर दिया
LiveLaw News Network
16 April 2021 9:35 PM IST
गुजरात हाईकोर्ट ने COVID-19 से संबंधित टेस्टिंग डेटा के प्रकाशन और सुविधाओं की उपलब्धता में पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि राज्य की पारदर्शिता और ईमानदारी आम जनता के बीच विश्वास पैदा करेगी।
कोर्ट ने राज्य में COVID-19 की स्थिति से संबंधित आवश्यक डेटा का प्रकाशन करने और जनता के साथ पारदर्शी संवाद करके जनता के बीच विश्वास बढ़ाने के लिए छह महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने राज्य में COVID-19 की स्थिति का जायजा लेने के लिए स्वत: संज्ञान लेकर निर्देश जारी किए।
मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति भार्गव कनिया की खंडपीठ ने मामले की गुरूवार को सुनवाई की।
कोर्ट ने देखा कि कोरोना पॉजिटिव के सरकारी आंकड़े उससे मेल नहीं खा रहे हैं जो वास्तव में वायरस से संक्रमित पाए गए हैं।
कोर्ट ने इस पर कहा कि,
"राज्य द्वारा वास्तविक तस्वीर छिपाने से राज्य को कोई लाभ नहीं मिलेगा और इसलिए सही और सटीक डेटा छुपाने से लोगोम के मन में भय, विश्वास की कमी और बड़े पैमाने पर लोगों में घबराहट सहित अधिक गंभीर समस्याएं उत्पन्न होंगी।"
कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य को RT-PCR टेस्ट के परिणामों के सही आंकड़ों को प्रकाशित करने में संकोच नहीं करना चाहिए, यदि ऐसे आंकड़े सही रिपोर्ट नहीं किए गए हैं।
कोर्ट ने कहा कि राज्य को COVID 19 के पॉजिटिव मामलों की वास्तविक संख्या का पता लगाने के लिए डेटा प्रकाशित करना चाहिए ताकि लोगों के दिमाग जे गलत धारणा बन चुकी है कि राज्य द्वारा दिया गया डेटा सटीक नहीं है। यह गलत धारणा खत्म हो जाए।"
कोर्ट ने राज्य के पास उपलब्ध सुविधाओं के संदर्भ में जोर दिया कि राज्य को सार्वजनिक रूप से पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से पूरे डिटेल्स के साथ आना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि यदि सामग्री, सुविधा या बुनियादी ढांचे की कमी है तो यह राज्य द्वारा सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया जाना चाहिए और स्थिति को सुधारने के लिए तुरंत उपचारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए।
बेंच ने कहा कि राज्य को सटीक डेटा सबके सामने रखना चाहिए ताकि किसी को इससे हानि न पहुंचे और लोगों में घबराहट दूर हो सके।
बेंच ने आगे कहा कि बुनियादी ढांचे, दवा और उपचार की उपलब्धता के बारे में सार्वजनिक संचार लोगों की चिंताओं को कम करेगा और अधिक मूल्य पर दवा की बिक्री पर रोक लगेगा और दवा की जमाखोरी कम होगी। राज्य से एक बार में सभी आवश्यक बुनियादी ढांचे, दवा और उपचार की सुविधा प्रदान करने के लिए नहीं कह रहे हैं, लेकिन इसके लिए राज्य में पीड़ित लोगों की देखभाल के लिए राज्य द्वारा किए जा रहे प्रयासों के संबंध में लोगों को विश्वास दिलाना होगा। अगर राज्य ऐसा करने में सफल हो जाता है तो बड़े पैमाने पर लोग निश्चित रूप से सहयोग करेंगे और राज्य द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करेंगे।"
कोर्ट ने निर्देश दिया कि,
"यह तभी संभव है जब राज्य यह कहे कि राज्य में आवश्यक बुनियादी ढांचा, दवा और उपचार सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो आधारभूत ढांचे के साथ उपलब्ध हैं। इससे अधिक मूल्य पर दवा की बिक्री पर रोक लगेगा और दवाओं की जमाखोरी कम होगी। राज्य को भी प्रयास करना चाहिए कि जो प्रयास किए जा रहे हैं उन्हें सार्वजनिक किया जाए और COVID19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर मरीजों को आवश्यक बुनियादी ढांचा, दवा और उपचार की सुविधा दी जाए।"
कोर्ट ने आगे कहा कि,
"इसी समय राज्य द्वारा ईमानदार और पारदर्शी संवाद आम जनता के बीच विश्वास पैदा करेगा ताकि मौजूदा समय में गंभीर स्थिति का पता चल सके जो बड़े पैमाने पर जनता को मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने, बार-बार हाथ धोना, सैनिटाइज करना इत्यादि कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने के लिए राजी किया जा सके ।
कोर्ट के अन्य निर्देश
कोर्ट ने इसके अलावा राज्य को ये निर्देश भी जारी किए हैं कि राज्य प्रत्येक स्टेप्स प्राप्त करने की सूचना दें,
i) सभी जिलों में ऐसी प्रयोगशालाओं की स्थापना करना जहां यह उपलब्ध नहीं है जैसे राज्य के कस्बों / तालुकाओं और जनजातीय क्षेत्रों में भी प्रयोगशालाओं की स्थापना की जानी चाहिए। इसके लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी या किसी अन्य तरीके की खोज की जा सकती है जो पूरे राज्य में ऐसी प्रयोगशालाओं की स्थापना को प्रोत्साहित कर सकती है।
(ii) RT-PCR टेस्ट समय सैंपल इकट्ठा करके जल्दी-से-जल्दी सैंपल का विश्लेषण करने के बाद रिपोर्ट तैयार करना चाहिए। RT-PCR टेस्ट के समय सैंपल एकत्र करने में देरी और रिपोर्ट प्राप्त करने में होने वाली देरी के कारण टेस्ट रिपोर्ट गलत हो सकती है।
(iii) RT-PCR टेस्ट के दौरान पाए गए पॉजिटिव मामलों की सटीक जानकारी को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। राज्य को RT-PCR टेस्ट के परिणामों के सही आंकड़ों को प्रकाशित करने में संकोच नहीं करना चाहिए, यदि ऐसे आंकड़े सही नहीं बताए जा रहे हैं।
(iv) राज्य में कोरोना विषय के विशेषज्ञों द्वारा प्रिंट, डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से बड़े पैमाने पर जनता को रेमडिसविर इंजेक्शन लेने और इसके फायदे के बारे में बताया जाना चाहिए। अन्यथा जब तक यह मिथक जारी रहेगा, रेमेडिसविर इंजेक्शन लेने से लोग बचते रहेंगे और काला बाज़ारों और जमाखोरों द्वारा इसका दुरुपयोग किया जाएगा। इस तरह के अभ्यास से उक्त इंजेक्शन के प्रिस्क्रिप्शन के बारे में गलत जानकारी फैलती रहेगी।
(v) राज्य द्वारा सभी जिलों के लिए कोविड संक्रंमित लोगों के लिए विभिन्न श्रेणियों के तहत खाली बेड और भरे हुए बेड का विवरण देने वाला ऑनलाइन पोर्टल की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। दिन में दो बार अपलोड किए जाने वाले आंकड़ों के बजाय, बेड की उपलब्धता को पोर्टल पर वास्तविक समय के आधार पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए, जैसे ही किसी विशेष अस्पताल में बेड खाली होता है या कोई बेड भर जाता है तो पोर्टल पर तुरंत इसकी जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए। इससे कोरोना संक्रमित के लिए सही अस्पताल चुनने में आसानी होगी। इस सुविधा के अभाव में पारिवार वालों को बेड के बार-बार अलग-अलग अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
(vi) राज्य के प्रयास से स्थिति को ध्यान में रखते हुए लोगों की मांग को पूरा करने के लिए राज्य के पास तीन से चार दिनों की ऑक्सीजन की उपलब्धता होनी चाहिए। राज्य द्वारा कोर्ट को ऑक्सीजन की उपलब्धता और ऑक्सीजन की मांग की जानकारी दी जाएगी।
(vii) राज्य के जिम्मेदार अधिकारियों को कोरोना के पॉजिटिव मामलों की संख्या, कोरोना के कारण होने वाली मौतों की संख्या और कोरना और दूसरी बीमारियों से मरने वालों की संख्या की जानकारी देनी चाहिए ताकि बड़े पैमाने पर लोगों के मन में विश्वास को फिर से बहाल किया जा सके।