कैदियों को वीडियो कॉन्फ्रेंस और फिजिकल पेशी में से विकल्प चुनने का अवसर दिया जाए: दिल्ली हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

24 Feb 2021 8:45 AM GMT

  • कैदियों को वीडियो कॉन्फ्रेंस और फिजिकल पेशी में से विकल्प चुनने का अवसर दिया जाए: दिल्ली हाईकोर्ट

    पिंजरा तोड़ की कार्यकर्ता नताशा नरवाल और देवांगना कलिता द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति प्रथिबा सिंह की एकल पीठ ने दिल्ली के जेल महानिदेशक से कहा है कि वे कैदियों को अदालत में फिजिकल तौर पर या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने का विकल्प देने पर विचार करें।

    याचिका में आरोप लगाया था कि अदालत में फिजिकल तौर पर पेश होने के बाद उनको हर बार 14 दिन के क्वारंटीन होना पड़ रहा है,जो उनके अधिकारों के लिए पूर्वाग्रही है। इसलिए वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश करने की अनुमति देने वाले एक फरवरी के आदेश को जारी रखा जाए।

    कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए जेल अधिकारियों ने 14 दिन क्वारंटीन करने का नियम बना रखा है। इस संबंध में, पहले भी एक अन्य जेएनयू छात्र ने मामले की सुनवाई के समय प्रस्तुत किया था कि उनको हर बार फिजिकल तौर पर हुई सुनवाई के बाद 14 दिन के लिए क्वारंटीन किया जाता है,परंतु उनको समान रूप से उन जेल अधिकारियों से वायरस लगने का खतरा रहता है जो बाहर जाते हैं लेकिन उनको वापिस आने पर क्वारंटीन नहीं किया जाता है।

    न्यायमूर्ति प्रथिबा सिंह ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में जारी किए गए निर्देश,इस मुद्दे को लेकर निचली अदालतों द्वारा पारित किसी अन्य विशिष्ट निर्देश या हाईकोर्ट द्वारा जारी किए गए किसी भी प्रशासनिक निर्देश के अधीन होंगे।

    वहीं महानिदेशक (जेल) का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट अनुज अग्रवाल ने अदालत को सूचित किया कि 19 फरवरी से क्वारंटीन की अवधि को कम करके पांच दिन कर दिया गया है। उन्होंने लिखित जवाब दाखिल करने और आदेश को रिकॉर्ड पर रखने के लिए भी कुछ समय दिए जाने की भी मांग की।

    हालांकि कलिता और नरवाल की तरफ से पेश एडवोकेट आदित पुजारी ने तर्क दिया कि उन्हें कई मामलों में विभिन्न अदालतों में पेश किया जाता है,इसलिए क्वारंटीन की अवधि कम करने से उनको कोई राहत नहीं मिलने वाली है। नरवाल और कलिता उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों से जुड़ी चार एफआईआर में आरोपी हैं।

    न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि बहुत से लोगों को 5 दिन के लिए भी क्वारंटीन में रहना पसंद न आए, इसलिए ''आप कैदियों को विकल्प दे सकते हैं क्योंकि हो सकता है कि कुछ कैदी अपने परिवार के सदस्यों व वकील से मिलना चाहते हों और वह फिजिकल तौर पर कोर्ट में पेश होना पसंद करें।'' इस प्रकार, अदालत ने याचिकाकर्ताओं की मांग पर विचार करते हुए आदेश दिया कि,''उन्हें 1 फरवरी, 2020 को दिए गए आदेश के अनुसार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबंधित अदालतों के समक्ष पेश करना जारी रखा जाए।''

    इस मामले में अगली सुनवाई अब अप्रैल में होगी।

    Next Story