अमेरिकी जज की वकीलों से अपील, वर्चुअल सुनवाई में भी ड्रेस कोड का पालन करें, उचित तरीके से तैयार होकर आएं

LiveLaw News Network

15 April 2020 12:39 PM GMT

  • अमेरिकी जज की वकीलों से अपील, वर्चुअल सुनवाई में भी ड्रेस कोड का पालन करें, उचित तरीके से तैयार होकर आएं

    दुनिया भर में अदालतें COVID-19 के संक्रमण को रोकने के लिए लिए डिजिटल सुनवाई का सहारा ले रही हैं, हालांकि अदालती कामकाज का यह नया तरीका वर्चुअल कोर्टरूम श‌िष्टाचार सहित कई मुद्दों को जन्म दे रहा है।

    हाल ही में, फ्लोर‌िडा के ब्रोवार्ड सर्किट के एक जज डेनिस बेली ने वकीलों से आग्रह किया कि वे कैमरे पर "अनुचित रूप से" दिखाई न दें और औपचारिक ड्रेस कोड का सख्ती से पालन करें। उन्होंने एक पत्र लिखकर कहा कि वकीलों और उनके मुवक्किलों को यह ध्यान रखना चाहिए कि ‌डिजिटल सुनवाई भी अदालती सुनवाई की तरह है, फोन पर आकस्मिक वार्तालाप नहीं हैं।

    उन्होंने पत्र में लिखा है, "यह ध्यान देने योग्य है कि कितने एटार्नी कैमरे पर अनुचित रूप से दिखाई देते हैं। हमने कई वकीलों को कैज़ुअल शर्ट और ब्लाउज में देखा है, उन्हें तैयार होने की चिंता नहीं होती, बेडरूम में बैठे होते हैं, मास्टर बेड दिखता रहता है। एक बार एक पुरुष वकील बिना शर्ट के ही कैमरे पर आ गए, जबकि एक महिला अटॉर्नी बिस्तर में ही थी। अगर आप को बुरा न लगे तो कृपया अदालत की सुनवाई को अदालत की सुनवाई ही समझें, चाहे हो ऑनलाइन हो या किसी और तरीके से।"

    राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस एसपी शर्मा की वर्चुअल अदालत में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जमानत के एक मामले पर बहस करने के लिए पेश हुआ एक वकील कथ‌ित रूप से बनियान में ही कैमरे पर आ गया। इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए, जस्टिस शर्मा ने सुनवाई स्थगित कर दी और एचसीबीए से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि उसके सभी सदस्य उचित ड्रेस कोड का पालन करें।

    इसके अलावा, जज बेली ने अपने पत्र में कहा कि ऑडियो में उतार-चढ़ाव के कारण वर्चुअल सुनवाई अधिक चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा, "ध्यान रखें कि जूम के जर‌िए सुनवाई में इन-पर्सन सुनवाई से ज्यादा वक्त लगता है, क्योंकि ऑनलाइन आ रही आवाज रुक कर आती है और आपस में बातें कर रहे लोग, समकालीन आपत्तियों की जिम्मेदारी को भी चुनौती देते हैं।"

    अपने पत्र में उन्होंने वकीलों को सचेत रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा है वकील अक्सर स्क्रीन पर नहीं बल्कि फाइलों, नोट्स, या खिड़की के बाहर देख रहे होते हैं, और जज चिल्लाता रहता है और वे देखते तक नहीं हैं। ऐसी ही समस्या का हवाला देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश मेहता ने पिछले सप्ताह जमानत की 5 याचिकाएं रद्द कर दी। उन्होंने कहा कि वीडियो कांन्फ्रेंसिंग के जरिए एक साथ इतने वकीलों को सुन पाना संभव नहीं है।

    जज बेली ने अपने पत्र में वकीलों को साक्ष्य के साथ सुनवाई के लिए तैयार रहने को कहा। उन्होंने सुझाव दिया है कि वकील अदालत के समक्ष जो भी साक्ष्य रखना चाहते हैं, उन्हें विरोधी वकील अदालत को पहले ही भेज देना चाहिए। उन्होंने कहा, "आपको तीसरे पक्ष के गवाहों को भी समन्व‌ित करना होगा; यदि वे कैमरे पर नहीं आ सकते हैं, तो जज उन्हें शपथ नहीं दिला सकते हैं, और ऐसी स्थिति में उनकी पहचान और शपथ को सत्यापित करने के एक नोटरी की आवश्यकता होगी।"

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