गौरी लंकेश हत्याकांड: कर्नाटक हाईकोर्ट ने जेल अधीक्षक को निजी अस्पताल में आरोपी का इलाज कराने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

7 March 2022 3:30 PM IST

  • गौरी लंकेश हत्याकांड: कर्नाटक हाईकोर्ट ने जेल अधीक्षक को निजी अस्पताल में आरोपी का इलाज कराने का निर्देश दिया

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने जेल अधीक्षक को पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपी के टी नवीन कुमार को एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित करने और इलाज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

    जस्टिस के नटराजन की एकल पीठ ने याचिका की अनुमति देते हुए 31 दिसंबर, 2021 के विशेष न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया।

    उन्होंने कहा,

    "जेल अधीक्षक को कोलंबिया एशिया अस्पताल एचएसआर रोड, बेंगलुरु में याचिकाकर्ता को उपचार प्रदान करने का निर्देश दिया गया। उक्त अस्पताल परप्पना अग्रहारा जेल से 7.7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। याचिकाकर्ता को पूरे मेडिकल खर्च को वहन करने का भी निर्देश दिया। जेल अधीक्षक को निर्देश दिया जाता है कि वह उपचार के दौरान पर्याप्त सुरक्षा बल उपलब्ध कराएं और याचिकाकर्ता को अस्पताल में स्थानांतरित करें और वापस जेल लेकर आएं।"

    इसमें कहा गया,

    "याचिकाकर्ता द्वारा सुरक्षा बलों के खर्च का भुगतान किया जाएगा और अग्रिम रूप में वह राज्य सरकार को अग्रिम सुरक्षा व्यय के लिए एक लाख रुपये जमा करेगा। शेष राशि गणना के बाद देय होगी।"

    इसके अलावा इसने कहा,

    "यह कहने की जरूरत नहीं है कि पुलिस अधिकारी अपने परिवार के सदस्यों को छोड़कर किसी भी व्यक्ति को अस्पताल में याचिकाकर्ता से मिलने की अनुमति नहीं देंगे। केंद्रीय जेल के अधीक्षक भोजन के संबंध में कोई अन्य शर्त लगाने के लिए स्वतंत्र हैं। यदि शर्त का कोई उल्लंघन होता है तो याचिकाकर्ता को वापस जेल ले जाया जाएगा।"

    केस पृष्ठभूमि:

    याचिकाकर्ता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और वह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 109, 114, 118, 302, r/w 120B और धारा 3(1)(i), 3(2) और कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (KCOCA) की धारा 3(3) और 3(4) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए न्यायिक हिरासत में है। वह गुर्दे की बीमारी और अन्य विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं और जेल अधिकारियों द्वारा उनका लगातार इलाज किया जाता है। हालांकि, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसे मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल में उच्च उपचार की आवश्यकता है, क्योंकि जेल अस्पताल के साथ-साथ सरकारी अस्पतालों में भी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसलिए उन्होंने स्पेशल कोर्ट में अर्जी दाखिल की, जो खारिज हो गई।

    विशेष लोक अभियोजक अशोक एन नाइक ने दायर याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अपराध जघन्य है। अगर उसे अस्पताल भेजा जाता है तो न्याय से भागने की संभावना है। इसके अलावा, उपचार प्रदान करने के लिए संजय गांधी और विक्टोरिया अस्पताल जैसे सरकारी अस्पताल हैं और याचिकाकर्ता को किसी निजी अस्पताल में रेफर करना आवश्यक नहीं है।

    न्यायालय के निष्कर्ष:

    अदालत ने याचिकाकर्ता के मेडिकल रिकॉर्ड के माध्यम से जाने पर कहा,

    "यह अदालत महसूस करती है कि याचिकाकर्ता को उचित इलाज के लिए मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल में रेफर करना जरूरी है। याचिकाकर्ता का वजन भी 105 किलोग्राम तक चला गया, भले ही वह भोजन नहीं लेने से पता चलता है कि याचिकाकर्ता को मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल में तत्काल उपचार की आवश्यकता है, क्योंकि सरकारी अस्पताल इस तरह के उपचार प्रदान करने में सक्षम नहीं होगा।"

    याचिकाकर्ता के वकील के इस बयान को स्वीकार करते हुए कि वह अस्पताल के इलाज और सुरक्षा खर्च को वहन करेगा।

    अदालत ने कहा,

    "तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए याचिका स्वीकार किए जाने योग्य है। विशेष अदालत के दिनांक 3.12.2022 के आदेश को पारित किया गया। विशेष मामले संख्या 872/2018 में बेंगलुरु में कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के प्रधान शहर सिविल और सत्र न्यायाधीश और विशेष न्यायाधीश को एतद्द्वारा अपास्त किया जाता है।"

    केस शीर्षक: के टी नवीन कुमार और कर्नाटक राज्य

    केस नंबर: आपराधिक याचिका 10232/2021

    साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (कर) 61

    आदेश की तिथि: 25 फरवरी, 2022

    उपस्थिति: याचिकाकर्ता के लिए एडवोकेट श्रीधर प्रभु ए / डब्ल्यू एडवोकेट सुयोग हेरेले ई

    प्रतिवादी के लिए विशेष लोक अभियोजक अशोक एन नाइक

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