सरकार के ज्ञापन के अनुसार 23 जनवरी (देश प्रेम दिवस) को नेताजी बोस की प्रतिमा पर माला चढ़ाएं, 'कदम-कदम बढ़ाए जा' की धुन बजाएं: कलकत्ता हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर
LiveLaw News Network
10 Jan 2022 8:33 AM IST
कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर कर पश्चिम बंगाल सरकार को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि सरकार के ज्ञापन के अनुसार 23 जनवरी (देश प्रेम दिवस) को जिला मुख्यालय में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माला चढ़ाएं और 'कदम कदम बढ़ाए जा' की धुन बजाई जाए।
जनहित याचिका को एक फरीद मोला ने यह प्रार्थना करते हुए स्थानांतरित किया है कि पश्चिम बंगाल सरकार को वर्ष 2011 में उसके द्वारा जारी किए गए ज्ञापन को लागू करने के लिए निर्देशित किया जाए, जिसमें यह घोषित किया गया था कि 23 जनवरी को प्रत्येक वर्ष प्रत्येक जिला मुख्यालय में देश प्रेम दिवस कैसे मनाया जाएगा।
[नोट: 23 जनवरी को नेताजी की जयंती के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। केंद्र सरकार ने पिछले साल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को हर साल 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था।]
कोर्ट के समक्ष दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार के दिनांक 20 जनवरी, 2011 के ज्ञापन को केवल वर्ष 2011 (23 जनवरी) में लागू किया गया था और इसके बाद संबंधित जिलाधिकारियों द्वारा जिला मुख्यालय में देश प्रेम दिवस कभी नहीं मनाया गया।
याचिका में कहा गया है,
"वर्ष 2011 के बाद दिनांक 20 जनवरी, 2011 के ज्ञापन के अनुसार 23 जनवरी को संबंधित जिलाधिकारी द्वारा जिला मुख्यालय में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण नहीं किया गया। इसके अलावा पुलिस बैंड उपलब्ध होने के बावजूद जिला मुख्यालय में 'कदम कदम बढ़ाए जा' की धुन नहीं बजायी।"
महत्वपूर्ण बात यह है कि जनहित याचिका में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार के ज्ञापन में विशेष रूप से कहा गया है कि 23 जनवरी को देश प्रेम दिवस होने के कारण जिला मुख्यालय में नेताजी की प्रतिमाओं का माल्यार्पण करना है और 'कदम कदम बढ़ाए जा' की धुन बजाई जानी चाहिए। कम-से-कम जहां पुलिस बैंड उपलब्ध हो वहां बजाया जाए।
जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने राज्य के मुख्यमंत्री को 2011 के ज्ञापन को प्रभावी बनाने के लिए कई अभ्यावेदन दिए। हालांकि, जनहित याचिका का दावा है कि सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।
जनहित याचिका राज्य सरकार को अपने ज्ञापन को लागू करने के लिए निर्देश देने की मांग करती है और यह सुनिश्चित करती है कि उसमें उल्लिखित तौर-तरीकों को लागू किया जाए।