गंगा सागर मेला- उम्मीद है कि राज्य सार्वजनिक स्वास्थ्य और COVID-19 स्थिति को ध्यान में रखते हुए व्यवहार्यता तय करेगा: कलकत्ता हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
5 Jan 2022 6:05 PM IST
कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल राज्य में COVID-19 मामलों में ताजा उछाल के बीच इस साल के गंगासागर मेले को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा।
हर साल मकर संक्रांति पर लाखों हिंदू भक्त पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के सागर द्वीप में पवित्र स्नान करने और कपिल मुनि मंदिर में पूजा करने के लिए आते हैं। इस वर्ष यह मेला आठ जनवरी से 16 जनवरी, 2022 तक आयोजित होने वाला है।
चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस केसांग डोमा भूटिया की पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह गुरुवार को यानी छह जनवरी तक अदालत को अपने फैसले से अवगत कराए कि क्या वह मेला को एक विनियमित तरीके से आयोजित करने की अनुमति देगा या पूरी तरह से प्रतिबंध लागू करेगा।
बेंच ने मौखिक रूप से कहा,
"संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि राज्य व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए और न केवल मेले में आने वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, बल्कि आम जनता के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेगा। मेला के दौरान बड़े पैमाने पर यात्रा के कारण लोग संक्रमित हो सकते हैं।"
पीठ ने आगे कहा कि उसे उम्मीद है कि इस तरह का निर्णय इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा कि वायरस का प्रसार बूंदों के माध्यम से होता है और तीर्थयात्री मेले के दौरान गंगा के पानी में डुबकी लगा रहे होंगे।
इसके अलावा, बेंच ने कहा कि वर्तमान में बड़ी संख्या में डॉक्टर पहले से ही संक्रमित हैं और मेला में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए तैनात पुलिस बल भी संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील होगा।
बेंच ने कहा,
"महाधिवक्ता ने याचिका में दिए गए बयानों और अदालत के समक्ष प्रस्तुत प्रस्तुतियों पर प्रतिक्रिया देने के लिए समय मांगा है। उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया कि राज्य के अधिकारी उक्त याचिका पर विधिवत विचार करेंगे और या तो प्रतिबंध लगाने के संबंध में उचित निर्णय लेंगे या मेला में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उचित उपाय करेंगे।"
यह याचिका पेशे से डॉक्टर डॉ. अविनंदन मंडल ने दायर की है। उन्होंने तर्क दिया कि मेले में लोगों के इतनी बड़ी संख्या में इक्ट्ठे होने से संक्रमण और भी फैल सकता है, क्योंकि हर साल सागर द्वीप में लगभग 30 लाख तीर्थयात्री धार्मिक मेले में आते हैं। तदनुसार, उन्होंने इस वर्ष गंगासागर मेला को रोकने के लिए दिशा-निर्देश मांगे, क्योंकि पश्चिम बंगाल राज्य में COVID-19 मामलों की संख्या में तेजी देखी जा रही है।
याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुतियां
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता श्रीजीब चक्रवर्ती ने पीठ के समक्ष दलील दी कि पिछले कुछ दिनों में राज्य में COVID-19 मामलों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। उन्होंने प्रस्तुत किया कि चार जनवरी, 2022 को राज्य में 9,073 COVID-19 मामले देखे गए और संक्रमण दर 18.96 प्रतिशत थी। उन्होंने आगे कहा कि गंगा सागर मेले में जाने वाले तीर्थयात्री कोलकाता शहर से यात्रा करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप कोलकाता में पॉजीटिव रेट में और वृद्धि होगी।
पीठ को आगे बताया गया कि राज्य सरकार ने दो जनवरी, 2022 को एक अधिसूचना जारी की थी। इसमें यह निर्धारित किया गया कि सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक समारोहों में शामिल होने के लिए 50 से अधिक व्यक्तियों को अनुमति नहीं दी जाएगी। तदनुसार, वकील ने तर्क दिया कि ऐसी परिस्थितियों में राज्य सरकार को गंगा सागर मेला की अनुमति नहीं देनी चाहिए, जिसमें लगभग 18 लाख लोगों की भीड़ शामिल होगी।
वकील ने आगे कहा कि तीन जनवरी से चार जनवरी, 2022 के बीच COVID-19 मामलों की संख्या 6,078 से बढ़कर 9,073 हो गई, जो कि मामलों की संख्या में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि है। न्यायालय को यह भी बताया गया कि राज्य के लगभग 50 प्रतिशत पुलिस बल मेले में तैनात हैं, जो इस प्रकार पुलिस बल को भी COVID-19 संक्रमण की चपेट में ला सकता है।
अदालत को आगे बताया गया कि गंगासागर मेला अधिनियम, 1976 को सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा और मेला में भाग लेने वाले तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए अधिनियमित किया गया है। अधिनियम की धारा चार के अनुसार, सागर भूमि के पूरे या एक हिस्से को राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किया जा सकता है। तद्नुसार याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए पूरे क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन के रूप में अधिसूचित किया जाए।
अजय कुमार दे बनाम पश्चिम बंगाल राज्य के मामले में पिछले साल गंगा सागर मेला के संबंध में हाईकोर्ट के फैसले पर भी भरोसा रखा गया था, जिसमें मेला को विनियमित करने के लिए न्यायालय द्वारा व्यापक दिशानिर्देश तैयार किए गए थे। आगे यह तर्क दिया गया कि पिछले साल जब गंगा मेला होने की अनुमति दी गई थी, तब तक महामारी की दूसरी लहर शुरू नहीं हुई थी। हालांकि, वर्तमान में पश्चिम बंगाल राज्य एक तीसरी लहर की चपेट में है।
पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम की ओर से प्रस्तुतियां
पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम (हस्तक्षेप करने वाला पक्ष) की ओर से पेश अधिवक्ता अनिरुद्ध चटर्जी ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि पश्चिम बंगाल राज्य में न केवल ओमीक्रॉन वैरिएंट बल्कि COVID-19 वायरस का डेल्टा वैरिएंट भी समानांतर रूप से फैल रहा है।
उन्होंने आगे बताया कि मेले में जाते समय तीर्थयात्री भी सार्वजनिक परिवहन का बड़े पैमाने पर उपयोग करते हैं जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
आगे यह प्रस्तुत किया गया कि वर्तमान में पश्चिम बंगाल में संक्रमण दर 18.9 प्रतिशत के करीब है। इस प्रकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रार्थना की गई कि मेले से संबंधित समारोह वस्तुतः आयोजित किए जाएं।
राज्य की ओर से प्रस्तुतियां
महाधिवक्ता एसएन मुखर्जी ने संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए गंगा सागर मेला को विनियमित करने के लिए की गई व्यवस्थाओं के बारे में शपथ पत्र के माध्यम से पीठ को सूचित करने के लिए गुरुवार तक का समय मांगा।
उन्होंने आगे कहा कि पिछले साल जब मेला को विनियमित तरीके से होने दिया गया था, तब लोगों का वैक्सीनेशन भी शुरू नहीं हुआ था। अब ऐसा नहीं है। उन्होंने आगे तर्क दिया कि जब वायरस के ओमीक्रॉन वैरिएंट की बात आती है तो संक्रमण की गंभीरता और हस्तांतरणीयता बहुत कम गंभीर होती है।
न्यायालय को यह भी बताया गया कि गंगा सागर मेले के संबंध में पिछले वर्ष हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार विस्तृत व्यवस्था की गई है।
मामले की अगली सुनवाई छह जनवरी को दोपहर दो बजे होगी।
केस शीर्षक: डॉ अविनंदन मंडल बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य।