लखनऊ में अनधिकृत होटलों का संचालन| 'एलडीए कार्रवाई करने में विफल': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से हलफनामा मांगा

Shahadat

12 Jan 2023 8:27 AM GMT

  • लखनऊ में अनधिकृत होटलों का संचालन| एलडीए कार्रवाई करने में विफल: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से हलफनामा मांगा

     Allahabad High Court

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य की राजधानी लखनऊ में अनऑथराइज्ड होटलों के कामकाज पर राज्य सरकार से व्यापक हलफनामा मांगा।

    चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस बृज राज सिंह की खंडपीठ ने कहा कि लखनऊ डेवलेपमेंट अथॉरिटी (एलडीए) ऐसे अनऑथराइज्ड होटलों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में विफल रही।

    अपने आदेश में अदालत ने कहा कि लगभग 4 महीने पहले उसने एक होटल में आग लगने की बड़ी घटना के बाद शहर में अनऑथराइज्ड होटल चलाने के मुद्दे के संबंध में जनहित याचिका दायर की, जिसका निर्माण और अनऑथराइज्ड रूप से संचालन किया जा रहा। इसके बावजूद एलडीए द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।

    अदालत ने हाल ही में शहर में हुई घटना पर भी ध्यान दिया, जिसमें डी.जे. होटल में समारोह में डीजे बजने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों ने डीजे के शोर के स्तर की शिकायत करने वाले व्यक्ति की कार में आग लगा दी।

    इसलिए अदालत ने इस संबंध में राज्य सरकार से जवाब मांगा और मामले को 30 जनवरी, 2023 को आगे की सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।

    क्लब में लाउडस्पीकरों के उपयोग के संबंध में अन्य जनहित याचिका से निपटते हुए कोर्ट ने लखनऊ डेवलेपमेंट अथॉरिटी के उपाध्यक्ष से हलफनामा मांगा है। उक्त क्लब को अब मैरिज हॉल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप आसपास के निवासियों की शांति भंग हो रही है।

    विभिन्न मोटर वाहनों से जुड़ी अतिरिक्त फिटिंग और निषिद्ध घंटों के दौरान शहर में भारी मोटर वाहनों के प्रवेश से संबंधित अन्य जनहित याचिका के संबंध में न्यायालय ने राज्य के हलफनामे को स्वीकार करते हुए कहा कि संशोधित वाहनों का खतरा और निषिद्ध में भारी वाहनों का प्रवेश दिन के समय क्षेत्रों में अभी भी ध्यान नहीं दिया जाता है।

    वास्तव में याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से पेश हुआ तो उसने कई संशोधित वाहनों के साथ-साथ शहर में नो एंट्री टाइम के दौरान चलाए जा रहे भारी वाहनों को प्रस्तुत किया और उसने उनमें से कुछ की तस्वीरें भी क्लिक कीं।

    इस पर राज्य के वकील ने कहा कि उन्हें तस्वीरें प्रदान की जा सकती हैं जिससे उचित कार्रवाई करने के लिए उन्हें संबंधित अधिकारियों को प्रेषित करने में सक्षम बनाया जा सके।

    इसके अलावा, उन्होंने व्यापक हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगा, जिसे न्यायालय ने अनुमति दी और न्यायालय ने निर्देश दिया कि संशोधित साइलेंसर के माध्यम से ध्वनि प्रदूषण के संबंध में जनहित याचिका को वर्तमान आदेश में अदालत द्वारा निपटाए गए मामलों के साथ टैग किया जाए।

    उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अगस्त, 2019 में राज्य में डीजे के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया और राज्य सरकार को टोल-फ्री नंबर जारी करने को कहा, जो लाउडस्पीकरों के अवैध उपयोग के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए उपलब्ध हो।

    जस्टिस प्रदीप कुमार सिंह बघेल और जस्टिस पंकज भाटिया की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा,

    "... डीजे द्वारा उत्पन्न शोर अप्रिय स्तर का है। भले ही वे ध्वनि के न्यूनतम स्तर पर संचालित हों, यह स्वीकार्य सीमा से परे है ...।"

    एडवोकेट सुशील चंद्र श्रीवास्तव द्वारा जनहित याचिका दायर की गई थी।

    केस टाइटल- डॉ. सुरेंद्र कुमार व अन्य बनाम यूपी राज्य और अन्य संबंधित मामलों के साथ।

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