अगर एक मेहनतकश किसान की फसल की कीमत हड़पने वाले मिडल मैन को छोड़ दिया गया तो यह बहुत बड़ा अन्याय होगाःपंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

27 Jan 2021 3:00 PM GMT

  • अगर एक मेहनतकश किसान की फसल की कीमत हड़पने वाले मिडल मैन को छोड़ दिया गया तो यह बहुत बड़ा अन्याय होगाःपंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते शिकायतकर्ताओं(किसानों) को देय धन की हेराफेरी करने के आरोपी विजय कुमार व दर्शना रानी (पति और पत्नी) को गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इनकार कर दिया। शिकायतकर्ताओं ने आरोपियों की कमीशन एजेंसी के माध्यम से अपनी फसल बेची थी,परंतु उसका पैसा दोनों आरोपियों ने सरकार से ले लिया और शिकायतकर्ताओं को नहीं दिया।

    न्यायमूर्ति एच एस मडान की खंडपीठ ने गिरफ्तारी से पहले जमानत का लाभ देने से इनकार करते हुए कहा कि,

    ''याचिकाकर्ताओं की ओर से कोई प्रशंसनीय और संतोषजनक स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है कि क्यों उन्होंने सरकार से राशि प्राप्त होने के बाद शिकायतकर्ताओं को नहीं दी,जबकि फसल उनकी कमीशन एजेंसी के माध्यम से सरकार को बेची गई थी और उस फसल की कीमत भी उन्होंने सरकार से प्राप्त की है।''

    मामले के तथ्य

    शिकायतकर्ताओं (किसानों) ने एसएसपी, संगरूर को लिखित शिकायत करते हुए मांग की थी कि याचिकाकर्ता विजय कुमार, उनकी पत्नी दर्शना रानी के साथ-साथ उनके बेटे दीपक कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।

    शिकायत में शिकायतकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि विजय कुमार और उसका पूरा परिवार गांव लसोई में कमीशन एजेंट के रूप में काम कर रहा था, उन्होंने खरीफ की (चावल)फसल खरीदी, लेकिन उन्होंने संबंधित किसानों को भुगतान नहीं किया, हालांकि किसानों द्वारा बेची गई फसलों के संबंध में वह सरकार से राशि प्राप्त कर चुके थे।

    शिकायत में आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने अपने उद्देश्यों के लिए धन का इस्तेमाल किया था और बड़ी मुश्किल से अभियुक्तों ने 70 लाख रुपये की कुल राशि में से 28 लाख रूपये का भुगतान किया था, जबकि शेष राशि नहीं दी गई।

    उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अभियुक्तों ने संबंधित किसानों को भुगतान नहीं किया और सरकार से प्राप्त किसानों के धन से कई संपत्तियां खरीद ली। यह शिकायत मिलने के बाद औपचारिक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

    तर्क सामने रखा

    याचिकाकर्ताओं/अभियुक्तों ने अदालत के सामने कहा कि भुगतान पहले ही किया जा चुका है और अब याचिकाकर्ताओं-अभियुक्तों का शिकायतकर्ता के प्रति कोई वित्तीय दायित्व नहीं है। हालांकि, अदालत ने कहा कि उन्होंने इन दलीलों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए।

    न्यायालय का अवलोकन

    न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता/किसानों की मेहनत की कमाई लाखों रुपये में है,जिसका भुगतान याचिकाकर्ताओं ने नहीं किया है और उन्होंने कथित रूप से इस धन के उपयोग से बड़ी संपत्ति खरीद ली हैं। वहीं याचिकाकर्ता/आरोपी विजय कुमार ने किसानों के बाकी धन का गलत इस्तेमाल किया है।

    कोर्ट ने आगे कहा,

    ''शिकायतकर्ता/किसानों की दुर्दशा को नजरअंदाज कर पूर्व गिरफ्तारी जमानत की रियायत देकर याचिकाकर्ताओं के प्रति सहिष्णुता और गलत सहानुभूति नहीं दिखाई जा सकती है क्योंकि किसान कृषि कार्यों के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और अपने इन प्रयासों से उम्मीद करते हैं कि उनकी फसल अच्छी होगी ताकि वह उसे बेचकर अपनी आजीविका चला सकें।''

    महत्वपूर्ण रूप से, कोर्ट ने कहा,

    ''अगर कोई मिडल मैन सफलतापूर्वक फसलों की कीमत हड़पता है और उसे ऐसे ही जाने की अनुमति दी जाती है, तो इससे न्याय की व्यापकता प्रभावित होगी और शिकायतकर्ता/किसानों के साथ बहुत अन्याय होगा। दोनों याचिकाकर्ता कमीशन एजेंसी बिजनेस में हितधारक हैं और शिकायतकर्ता/किसानों के बकाये का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं।''

    यह देखते हुए कि याचिकाकर्ताओं द्वारा किए गए आपराधिक कृत्यों के आवश्यक विवरण का पता लगाने व पैसे की वसूली करने के लिए उनको हिरासत में लेकर पूछताछ करने की निश्चित रूप आवश्यकता होगी,कोर्ट ने कहा कि,

    ''अगर इस मामले में याचिकाकर्ताओं को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की अनुमति जांच एजेंसी को नहीं दी जाएगी तो इससे मामले की जांच गंभीर रूप से प्रभावित होगी,जबकि ऐसा होना नहीं चाहिए।''

    इसलिए, अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ताओं में से किसी को भी पूर्व-गिरफ्तारी जमानत देने का कोई मामला नहीं बनता है और इस तरह, याचिकाएं खारिज कर दी गईं।

    केस का शीर्षक -दर्शना रानी बनाम पंजाब राज्य साथ में विजय कुमार बनाम पंजाब राज्य [CRM-M-1600-2021 & CRM-M-2138-2021]

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