"सभी गवाह पक्षद्रोही हो गएः" पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को लॉ स्टूडेंट को कैद में रखने और बलात्कार करने के आरोप से बरी किया
LiveLaw News Network
27 March 2021 11:55 AM IST
सांसदों की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता स्वामी चिन्मयानंद को शाहजहांपुर में लॉ स्टूडेंट को बंधकर बनाकर रखने और बलात्कार करने के आरोप से बरी कर दिया।
विशेष न्यायाधीश पी. के. राय ने आरोपों से बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने मामलो को संदेह से परे साबित नहीं किया।
पीड़ित छात्रा ने भी चिन्मयानंद के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई के दौरान पक्षद्रोही (Hostile) व्यवहार किया।
अदालत ने दूसरी तरफ लॉ स्टूडेंट और उसके साथ अन्य सह-अभियुक्त संजय सिंह, डीपीएस राठौर, विक्रम सिंह, सचिन सिंह और अजीत सिंह, जिन पर चिन्मयानंद से पैसे मांगने की कोशिश करने के आरोप थे, उन्हें भी सभी आरोप से बरी कर दिया।
फैसला सुनाए जाने के समय चिन्मयानंद और अन्य आरोपी व्यक्ति अदालत में मौजूद थे।
अदालत ने चिन्मयानंद सहित आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
चिन्मयानंद के खिलाफ मुकदमा 27 अगस्त, 2019 को शाहजहाँपुर के कोतवाली पुलिस स्टेशन में पीड़ित छात्रा के पिता की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिन्होंने कहा था कि उनकी बेटी चिन्मयानंद के आश्रम द्वारा संचालित कॉलेज में एलएलएम कर रही थी और वहाँ एक छात्रावास में रह रही थी।
उन्होंने कहा था कि लड़की का मोबाइल फोन 23 अगस्त से बंद था। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी लड़की के फेसबुक अकाउंट से पता चला कि उसका चिन्मयानंद और उसके लोगों द्वारा यौन उत्पीड़न और बलात्कार करने की धमकी दी गई है।
छात्रा के पिता ने आशंका व्यक्त की थी कि उनकी बेटी के साथ कुछ अनहोनी हुई है।
उन्होंने कहा था कि जब उन्होंने चिंमयानंद से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने अपना मोबाइल बंद कर लिया था।
चिन्मयनांद को 20 सितंबर, 2019 को मामले में गिरफ्तार किया गया और जेल भेज दिया गया था।
बाद में मामले में जांच पूरी हो गई और उसके खिलाफ 4 नवंबर, 2019 को आईपीसी की धारा 376-सी के तहत एक आरोप पत्र दायर किया गया, जिसमें किसी व्यक्ति द्वारा किसी व्यक्ति की हैसियत का दुरुपयोग करने या छेड़खानी करने, लैंगिग संभोग करने और बलात्कार आदि का आरोप शामिल थे।
दूसरी ओर, अधिवक्ता ओम सिंह ने 25 अगस्त, 2019 को कानून की छात्रा और उसके दोस्तों के खिलाफ उसी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया था कि उन्होंने कथित तौर पर चिन्मयनाद से जबरन 5 करोड़ रुपये की मांग की थी।
चिन्मयानंद द्वारा कानून की छात्रा और उसके दोस्तों के खिलाफ दायर किए गए मामले में चार्जशीट 4 नवंबर, 2019 को दायर की गई थी, जिसमें आईपीसी की धारा 385 के तहत उन्हें एक व्यक्ति को जबरन वसूली और आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।