संपत्ति की कुर्की से बचने के लिए व्यापारी ने बॉम्बे हाईकोर्ट के नाम से फर्ज़ी स्टे ऑर्डर बनाया, अदालत ने एफआई दर्ज करने के निर्देश दिए
LiveLaw News Network
15 March 2020 1:45 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले महीने अपनी रजिस्ट्री को आज़ाद मैदान पुलिस स्टेशन में पुणे के व्यापारी वसंत पारख पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए। इस व्यवसायी ने SARFAESI Act के तहत अपनी संपत्तियों की कुर्की से बचने के लिए फर्ज़ी तरीके से अपने अनुकूल "स्टे ऑर्डर" बनाया था।
हाल के दिनों में यह दूसरा ऐसा उदाहरण है जिसमें "जाली आदेश" मिला है। न्यायमूर्ति जीएस पटेल ने पिछले महीने उनके नाम पर एक मनगढ़ंत जाली आदेश जारी होने की सूचना के बाद जांच का आदेश दिया था।
न्यायमूर्ति एए सैय्यद और न्यायमूर्ति पीडी नाइक की खंडपीठ ने निष्कर्ष निकाला कि पारख की रिट याचिका सितंबर 2019 में खारिज कर दी गई थी लेकिन जनवरी 2020 में कथित "जाली आदेश" दिखाया गया।
अदालत ने कहा,
"28 जनवरी, 2020 को कथित रूप से अंतरिम आवेदन संख्या 634-बी -78 / आर / 2019 में रिट याचिका (एसटी) संख्या 20046 के 2019 में पारित कथित तौर पर यह एक जाली और फर्जी दस्तावेज है। जनवरी, 2020 ऐसा कोई आदेश इस खंडपीठ द्वारा पारित नहीं किया गया था। वास्तव में इस तरह की कोई बेंच 28 जनवरी, 2020 को बैठी नहीं थी। "
वसंत पारख, उसकी पत्नी और बेटे ने 2016 में टाटा कैपिटल फाइनेंस सर्विसेज लिमिटेड से रुपए 2.03 करोड़ का बिज़नेस लोन लिया था जिसकी सिक्योरिटी में पुणे में दो रो हाउस को गिरवी रखा गया था। चूंकि याचिकाकर्ता ने उक्त ऋण को अदा करने में चूक की, इसलिए जिला अदालत ने उसकी संपत्तियों की कुर्की का आदेश दिया।
हालांकि, जब संबंधित अधिकारी उक्त संपत्तियों को अटैच करने के लिए गए, तो पारख ने उन्हें "जाली आदेश" दिखाते हुए कहा कि हाईकोर्ट द्वारा कुर्की के आदेश पर रोक दी गई है।
इस प्रकार, रिकॉर्ड पर सामग्री के माध्यम से इनकार करने के बाद, पीठ ने एफआई दर्ज करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा,
"हाईकोर्ट के आदेश की जालसाजी और ऐसे आदेश बनाना एक गंभीर मामला है जिसकी गहन जांच की जरूरत है।"
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार व्यवसायी और उसके बेटे को अब गिरफ्तार कर लिया गया है।
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