लड़की की आत्महत्या की परिस्थितियों पर ध्यान दें, धर्म परिवर्तन के आरोपों की वीडियोग्राफी करने वाले को परेशान न करेंः मद्रास हाईकोर्ट ने पुलिस से कहा
Manisha Khatri
24 Jan 2022 12:30 PM GMT
![God Does Not Recognize Any Community, Temple Shall Not Be A Place For Perpetuating Communal Separation Leading To Discrimination God Does Not Recognize Any Community, Temple Shall Not Be A Place For Perpetuating Communal Separation Leading To Discrimination](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2021/02/17/750x450_389287--.jpg)
मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने एक 17 वर्षीय लड़की की मौत से संबंधित जांच को सीबी-सीआईडी या अन्य स्वतंत्र जांच एजेंसियों को स्थानांतरित करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस अधिकारियों से कहा है कि वह उन परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित करें, जिनके कारण इस लड़की ने आत्महत्या की है।
अदालत के समक्ष बताया गया था कि पुलिस उस व्यक्ति को परेशान कर रही है जिसने कथित तौर पर लड़की की वीडियोग्राफी की थी। यह वीडियोग्राफी उस समय की गई थी,जब वह धर्म परिवर्तन के लिए उस पर दबाव डालने के आरोप लगा रही थी। इन आरोपों को ध्यान में रखते कोर्ट ने कहा कि,
''... प्रतिवादी पुलिस को उस व्यक्ति को परेशान करने से रोका जाता है जिसने लड़की का वह वीडियो बनाया था, जिसमें वह आरोप लगाती हुई नजर आ रही है कि उस पर ईसाई धर्म अपनाने का दबाव बनाया गया था। पुलिस अधिकारियों का ध्यान उन परिस्थितियों पर होना चाहिए,जिनके कारण इस बच्ची ने आत्महत्या की है और उन्हें अपना ध्यान वीडियो लेने वाले व्यक्ति के खिलाफ निर्देशित नहीं करना चाहिए। वहीं इस न्यायालय द्वारा 24.01.2022 को आगे के आदेश पारित किए जाएंगे।''
चूंकि तंजावुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों द्वारा किए गए पोस्टमॉर्टम की विश्वसनीयता पर कोई संदेह नहीं है, इसलिए पीठ ने जिला कलेक्टर को निर्देश दिया है कि वह शव को मृत बच्ची के मूल स्थान पर भेजने के लिए आवश्यक व्यवस्था करें।
शनिवार को हुई विशेष सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस को यह भी निर्देश दिया था कि परिवार को अपने रीति-रिवाजों के अनुसार बच्ची का अंतिम संस्कार करने दें और उसमें हस्तक्षेप न किया जाए।
जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने तंजावुर के प्रधान जिला न्यायाधीश से कहा है कि वह सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मृत बच्ची के माता-पिता के बयान दर्ज करने के लिए एक न्यायिक मजिस्ट्रेट को नामित करें। वहीं इन बयान की कॉपी सीलबंद लिफाफे में हाईकोर्ट के समक्ष पेश की जाए।
मृतका, थिरुकट्टुपल्ली के थूया इरुधाया हायर सेकेंडरी स्कूल में 12 वीं कक्षा का छात्रा थी, जो स्कूल के छात्रावास में ही रहती थी। कथित तौर पर, उसने 9 जनवरी को छात्रावास परिसर के अंदर जहर (कीटनाशक) का सेवन कर लिया। पुलिस ने 16 जनवरी को उसका बयान लिया, जिसके आधार पर, छात्रावास की वार्डन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 305, 511 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 75 और 82 (1) के तहत अपराध करने के लिए मामला दर्ज किया गया था। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि स्कूल प्रबंधन ने उसे ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रताड़ित किया था।
महत्वपूर्ण रूप से, एक अज्ञात व्यक्ति ने 19 जनवरी को उसकी एक वीडियो बनाई थी,जिसमें अपनी मृत्यु से पहले वह आरोप लगा रही है कि उस पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव ड़ाला जा रहा था। उक्त वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था।
उसी पर संज्ञान लेते हुए, पुलिस ने नाबालिग की पहचान उजागर करने के मामले में वीडियो बनाने वाले व्यक्ति को कथित रूप से निशाना बनाया है। उपरोक्त घटनाओं के बाद, यह आरोप लगाए गए हैं कि मामले की जांच सही दिशा में नहीं जा रही है और जांच के स्थानांतरण के लिए वर्तमान याचिका दायर की गई है।
पिछले शुक्रवार को, अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया था कि वह याचिकाकर्ता, उसकी पत्नी या उस व्यक्ति को परेशान करने जैसे आरोपों को जन्म न दे, जिसने कथित तौर पर वह वीडियो बनाई थी,जिसमें मृतका उस पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव डालने के आरोप लगा रही है। उसी दिन, अदालत ने निर्देश दिया था कि मृत बच्ची का पूरी तरह से वीडियो ग्राफित फोरेंसिक शव परीक्षण किया जाना चाहिए।
शनिवार को विशेष सुनवाई की गई थी क्योंकि अदालत को अतिरिक्त लोक अभियोजक ने सूचित किया था कि पोस्टमार्टम पहले ही किया जा चुका है। इसलिए, पुलिस को इस बारे में स्पष्टता की आवश्यकता थी कि क्या दूसरा पोस्टमॉर्टम आवश्यक है?
केस का शीर्षक- एम बनाम पुलिस महानिदेशक व अन्य
केस नंबर- सीआरएल ओपी (एमडी) नंबर 1344/2022
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