केवल पत्नी द्वारा एफआईआर दर्ज करवाने के कारण पत्नी ने बच्चों की कस्टडी के लिए याचिका दायर की : गुजरात हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज की

Sharafat

22 May 2023 2:30 AM GMT

  • केवल पत्नी द्वारा एफआईआर दर्ज करवाने के कारण पत्नी ने बच्चों की कस्टडी के लिए याचिका दायर की : गुजरात हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज की

    गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में एक पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी, जिसने अपनी पत्नी से अलग रहने वाली अपनी पत्नी से अपने बच्चों की कस्टडी मांगी थी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता-पिता ने उसके लिए उपलब्ध वैकल्पिक उपायों को नहीं अपनाया।

    जस्टिस उमेश ए त्रिवेदी और जस्टिस एमके ठक्कर की खंडपीठ ने कहा:

    "यह केवल इसलिए है क्योंकि वह अपराधों के लिए एफआईआर का सामना कर रहा है और वैवाहिक कलह के कारण अन्य मामले का सामना कर सकता है। उसने बच्चों की कस्टडी के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण की आड़ में यह याचिका दायर की और इसलिए इस पर साधारण कारण से सुनवाई नहीं की जा सकती। कई अन्य उपचार हैं, जिनका पहले उपलब्ध अवसर पर लाभ उठाया जा सकता था, जिसका कभी उपयोग नहीं किया गया और याचिकाकर्ता ने सीधे इस याचिका को इस न्यायालय में दायर किया है और इसलिए इस याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता।"

    याचिकाकर्ता-पिता ने अपने नाबालिग बेटे और बेटी की कस्टडी की मांग करते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट दायर की। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि पत्नी 17 दिसंबर, 2022 से वैवाहिक कलह के कारण अलग रह रही है।

    अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता आईपीसी की धारा 498A (पति या पति के रिश्तेदार द्वारा महिला के साथ क्रूरता), धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), धारा 504 ( शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), धारा 506 (2) (आपराधिक धमकी) और धारा 114 (अपराध किए जाने पर उकसाना) के तहत मुकदमों का सामना कर रहा है।

    कोर्ट ने आगे कहा कि याचिका में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया है कि अलग होने के बाद भी याचिकाकर्ता पिता ने कभी भी बच्चे की कस्टडी को स्थायी या अंतरिम रूप से प्राप्त करने का प्रयास किया है या यहां तक ​​कि किसी मुलाक़ात के अधिकार की भी मांग की है।

    अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा, "याचिकाकर्ता का यह भी कोई मामला नहीं है कि बच्चों को प्रतिवादी पत्नी द्वारा अवैध रूप से स्थापित कस्टडी से अगवा किया गया है और उन्हें अवैध रूप से कैद किया गया है।"


    केस टाइटल : राज रमेशभाई मिस्त्री बनाम गुजरात राज्य

    कोरम: जस्टिस उमेश ए त्रिवेदी और जस्टिस एमके ठक्कर

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