बलात्कार का झूठा मामला: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा,पीड़िता को राज्य द्वारा दिया गया मुआवजा वापस करने के लिए कहा जाए

Manisha Khatri

19 May 2022 1:22 PM GMT

  • बलात्कार का झूठा मामला: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा,पीड़िता को राज्य द्वारा दिया गया मुआवजा वापस करने के लिए कहा जाए

    Madhya Pradesh High Court

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि वह बलात्कार के एक मामले में पीड़िता के खिलाफ राज्य सरकार से मिले मुआवजे को वापस करने के लिए निर्देश जारी करे क्योंकि उसने अपने बयान में स्वीकार किया है कि उसने आरोपी के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।

    आवेदक/अभियुक्त द्वारा दायर की गई जमानत अर्जी पर निर्णय करते हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल ने कहा-

    ट्रायल कोर्ट पीड़िता के खिलाफ उसके द्वारा प्राप्त राशि वापस करने के लिए एक निर्देश जारी करने पर विचार करे क्योंकि उसने अपनी गवाही में मुख्य रूप से स्वीकार किया है कि उसने दोनों पक्षों के बीच हुए कुछ मौखिक विवाद के कारण झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। इसलिए, कथित झूठी रिपोर्ट दर्ज की गई है और वह देश के करदाताओं के पैसे से राज्य सरकार द्वारा भुगतान की गई मुआवजे की राशि को रखने की हकदार नहीं है। इस प्रकार, ट्रायल कोर्ट पीड़िता को उस राशि को ट्रेजरी खाते के उपयुक्त शीर्ष में वापस जमा कराने का निर्देश देने पर विचार करे।

    मामले के तथ्य यह है कि आवेदक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 376(2)(एन), 506, पॉक्सो एक्ट की धारा 3, 4, 5जे(ii), 5एल और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(डब्ल्यू)(II),3(II)(V) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज की गई है।

    आवेदक ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि पीड़िता ट्रायल कोर्ट के समक्ष मुकर चुकी है और उसने अभियोजन पक्ष की कहानी का समर्थन नहीं किया है। उसने आगे बताया कि पीड़िता की दादी और उसके चाचा भी अपने बयान से मुकर गए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे में पीड़िता के प्रभावित होने की कोई संभावना नहीं है और अन्य सभी महत्वपूर्ण गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं। उन्होंने प्रार्थना करते हुए कहा कि चूंकि उनके मुकदमे को समाप्त होने में समय लगेगा, इसलिए उन्हें जमानत दे दी जाए।

    कोर्ट ने मामले के तथ्यों और रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों को ध्यान में रखते हुए इसे जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला माना-

    जमानत देने से पहले पक्षकारों के एडवोकेट की दलीलों और इस तथ्य को ध्यान में रखा कि पीड़िता/शिकायतकर्ता का बयान पहले की दर्ज किया जा चुका है और उसने अभियोजन पक्ष की कहानी का समर्थन नहीं किया है और आवेदक 03/11/2021 से हिरासत में है। इसलिए कोर्ट ने मामले की मैरिट पर कोई भी टिप्पणी किए बिना जमानत अर्जी मंजूर कर ली।

    उपरोक्त टिप्पणियों के साथ, अदालत ने आवेदन को अनुमति दे दी और तदनुसार, आवेदक को जमानत दे दी गई।

    केस टाइटल- बबलेश पटेल बनाम मध्य प्रदेश राज्य

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