फर्जी मेडिकल रिकॉर्ड के जरिए झूठे मोटर दुर्घटना दावे: मद्रास हाईकोर्ट ने वापस लिए गए 84 दावों की जांच का आदेश दिया
LiveLaw News Network
28 Jan 2022 9:49 AM GMT
![God Does Not Recognize Any Community, Temple Shall Not Be A Place For Perpetuating Communal Separation Leading To Discrimination God Does Not Recognize Any Community, Temple Shall Not Be A Place For Perpetuating Communal Separation Leading To Discrimination](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2021/02/17/750x450_389287--.jpg)
मद्रास हाईकोर्ट
फर्जी मोटर दुर्घटना दावों के आरोपों के मद्देनज़र मद्रास हाईकोर्ट ने ऐसे 84 मामलों की विस्तृत जांच का आदेश दिया है, जिनमें 11.70 करोड़ रुपये का दावा किया गया था। हालांकि बाद में इन मामलों को वापस ले लिया गया।
जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने कहा,
"यह महज इत्तेफाक नहीं कि कावेरी अस्पताल, होसुर की ओर से दिए गए फर्जी और मनगढ़ंत मेडिकल रिकॉर्ड की सहायता से दावा दायर किया गया। यह स्पष्ट नहीं है कि जजों ने उन 84 दावों को खारिज करने से पहले कोई प्रारंभिक जांच भी की कि इतने सारे दावों पर जोर क्यों नहीं डाला गया।"
मामले में न्यायालय ने स्वयं संज्ञान लेते हुए सचिव, तमिलनाडु राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को 84 दावों की जांच करने के लिए कहा। यह दावे पहले एडीजे, होसुर और पीएसजे, होसुर के समक्ष लंबित थे। मामले में हाईकोर्ट यह पता लगाना चाहता है कि क्या दावों पर संबंधित दावेदारों की जानकारी के बाद जोर नहीं दिया गया है।
अपने आदेश में कोर्ट ने कहा,
"सचिव, तमिलनाडु राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया जाता है और जिन दावेदारों ने 84 एमसीओपी में दावा किया है उन्हें तलब किया जाएग और यह पता लगाने के लिए जांच की जाए कि क्या सहमति के बाद दावों पर जोर नहीं दिया गया था। जांच करते समय, कानूनी सेवा प्राधिकरण वास्तविक दावों की भी पहचान करेगा और संबंधित बीमा कंपनियों को इसकी जानकारी देगा…",
अदालत ने सचिव को सुनवाई की अगली तारीख तक कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है। रडार पर मौजूद 84 दावों को 2019 में जोर नहीं दिए जाने के कारण खारिज कर दिया गया था।
मामले में सहायक पुलिस महानिरीक्षक, कानून और व्यवस्था, चेन्नई की ओरसे दायर एक स्थिति रिपोर्ट में जांच पूरी करने के लिए और समय मांगा गया था, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। पुलिस को पूरी तरह से जांच जारी रखने और सुनवाई की अगली तारीख यानी 4 अप्रैल तक अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है।
स्थिति रिपोर्ट में पुलिस ने माना है कि दुर्घटना होने के बाद से ही 'सम्मिलित साजिश' की गई है। स्थिति रिपोर्ट को स्वीकार करने के बाद, अदालत ने विशेष जांच दल को तमिलनाडु दुर्घटना और आपातकालीन देखभाल पहल (टीएईआई) के संबंधित अधिकारियों से पूछताछ करने के लिए भी कहा है, राजमार्गों पर जिनके ट्रॉमा केयर सेंटर हैं और रिपोर्ट में उनके बयान दर्ज किए जाएंगे, जिसे कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
पृष्ठभूमि
2021 की शुरुआत में, चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर कर फर्जी और मनगढ़ंत बीमा पॉलिसियों के जरिए किए गए लगभग 120 दावों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल के गठन के निर्देश की मांग की थी।
याचिकाकर्ता कंपनी ने तर्क दिया कि बीमा पॉलिसियों में छेड़छाड़ करके फर्जी दावे किए गए हैं। कंपनी ने कहा कि उन्हें 15.63 करोड़ की फर्जी बीमा पॉलिसियों के आधार पर 120 दावे आए थे। मद्रास हाईकोर्ट ने मार्च, 2021 में मामले की जांच के लि ए एसआईटी के गठन का आदेश दिया था। अदालत के आदेश के अनुसार, सहायक पुलिस महानिरीक्षक के साथ एक अंतरिम एसआईटी का गठन किया गया था।
केस शीर्षक: चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी बनाम पुलिस महानिदेशक और अन्य
Case No: Crl.O.P.Nos.2302 and 4174 of 2021 and Crl.M.P.No.13952 of 2021