नाकाम रोमांटिक रिश्ता बलात्कार की एफआईआर दर्ज करने का कोई आधार नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट

Sharafat

2 Nov 2023 6:24 PM IST

  • नाकाम रोमांटिक रिश्ता बलात्कार की एफआईआर दर्ज करने का कोई आधार नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि कोई रोमांटिक रिश्ता नहीं चल पाता है तो यह बलात्कार का मामला दर्ज करने का आधार नहीं हो सकता।

    जस्टिस सुधीर कुमार जैन ने कहा, "यह स्थापित कानून है कि यदि कोई रिश्ता नहीं चल पाता है तो वह आईपीसी की धारा 376 के तहत दंडनीय अपराध के लिए एफआईआर दर्ज करने का आधार नहीं हो सकता।"

    अदालत ने एक महिला से शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने के आरोपी एक सरकारी कर्मचारी को अग्रिम जमानत देते हुए यह टिप्पणी की।

    महिला ने दर्ज कराई एफआईआर में आरोप लगाया कि पिछले साल उसकी सगाई आरोपी के साथ हुई थी जिसके बाद उसके परिवार वाले दहेज की मांग करने लगे। उसने आगे आरोप लगाया कि जब उसके पिता ने कुछ रकम देने के बाद आरोपी को पैसे देने से इनकार कर दिया तो वह उससे बचने लगा और उससे शादी करने से इनकार कर दिया।

    आरोपी का मामला यह था कि शादी इस कारण से रद्द कर दी गई क्योंकि महिला और उसके परिवार ने इस तथ्य का खुलासा नहीं किया था कि वह विभिन्न बीमारियों से पीड़ित है। याचिकाकर्ता का कहना था कि उसके करियर को बर्बाद करने की कोशिश के तौर पर एफआईआर दर्ज की गई।

    याचिका को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा कि एफआईआर में लगाए गए आरोपों से यह खुलासा नहीं होता है कि आरोपी का महिला से शादी करने का कोई इरादा नहीं था और उसने शुरू से ही शादी का झूठा वादा किया था।

    जस्टिस जैन ने कहा कि मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत बलात्कार का अपराध लागू नहीं होता है।

    अदालत ने कहा,

    “ याचिकाकर्ता, एक सरकारी कर्मचारी होने के नाते अगर उसे झूठे और तुच्छ मामले में जेल में डाल दिया गया तो उसे अपूरणीय क्षति होगी और उसका करियर बर्बाद हो जाएगा। याचिकाकर्ता की जड़ें समाज में हैं और वह न्याय से नहीं भागेगा। याचिकाकर्ता के वकील ने प्रार्थना की कि याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत दी जाए।"

    इसके अलावा अदालत ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता ने आरोपी द्वारा चार महीने से अधिक समय तक उसके साथ कथित जबरन यौन संबंध का खुलासा नहीं किया।

    अदालत ने कहा,

    “हालांकि अभियोजक ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान में अपने बयान में सुधार किया है, लेकिन यह मुद्दा कि क्या याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता की सहमति से उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे या नहीं, यह मुकदमे का विषय है और सबूत के बिना इसका फैसला नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता को सरकारी कर्मचारी बताया गया है। ऐसा कोई जोखिम नहीं है कि याचिकाकर्ता मुकदमे से भाग जाएगा।”

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