"बेहद दुर्भाग्यपूर्ण", उड़ीसा हाईकोर्ट ने अनावश्यक रूप से सुनवाई स्थगित करने के लिए अनुपस्थित वकील पर पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाया

LiveLaw News Network

26 Jun 2021 3:28 AM GMT

  • Lawyer Not Wearing Neck-Band During Virtual Hearing

    Image Courtesy: India Today

    उड़ीसा हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक वकील पर पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाया। दरअसल, इस मामले के लिए एक विशेष तारीख तय होने के बावजूद वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग मोड में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता का वकील अनुपस्थित रहा था।

    मुख्य न्यायाधीश डॉ एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति एस के पाणिग्रही की खंडपीठ ने अधिवक्ता संजत दास पर जुर्माना लगाया, जो अपने मामले के दौरान अनुपस्थित थे और अपने सहयोगी को निर्देश दिया कि वे अदालत को सूचित करें कि वह अदालत में उपस्थित होने में असमर्थ हैं।

    कोर्ट ने कहा कि,

    "कोर्ट इसकी सराहना करने में विफल है।"

    बेंच ने आगे टिप्पणी की कि,

    "इससे भी बुरी बात यह है कि याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील, जिन्होंने कहा है कि उन्होंने वकालतनामा दायर किया है, के पास 20 अप्रैल 2021 के आदेश सहित इस मामले में इस न्यायालय द्वारा पारित आदेशों की प्रतियां भी नहीं हैं, जो काफी विस्तृत है और याचिकाकर्ताओं को उत्तर देने के लिए वकील के लिए विशिष्ट प्रश्न प्रस्तुत करता है।"

    कोर्ट ने देखा कि याचिका को अनावश्यक रूप से स्थगित किया जा रहा है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि उसके (वकील) द्वारा 5000 रुपये का जुर्माना उड़ीसा हाईकोर्ट कानूनी सेवा समिति के पास 5 जुलाई, 2021 को या उससे पहले जमा की जाए।

    पीठ ने इसके अलावा यह देखा कि मामले को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश दिनांक 10 जनवरी 2018 द्वारा रिमांड पर लिया था और यद्यपि न्यायालय इस पर आगे बढ़ने के लिए तैयार था और याचिकाकर्ताओं के वकील उपस्थित नहीं हुए। कोर्ट ने अवसर के रूप में मामले को 29 जुलाई 2021 को सूचीबद्ध किया।

    उड़ीसा उच्च न्यायालय ने इस साल फरवरी में वर्चुअल मोड में कोर्ट के सामने बहस करते समय नेक बैंड नहीं पहनने वाले वकील पर 500 रूपये का जुर्माना लगाया था।

    न्यायमूर्ति एस के पाणिग्रही की खंडपीठ ने जुर्माना लगाते हुए कहा कि,

    "पेशा गंभीर प्रकृति का है और इसका महत्व इसकी पोशाक से पूरित है। एक अधिवक्ता होने के नाते इसे उचित पोशाक के साथ सम्मानजनक तरीके से अदालत के सामने पेश होने की उम्मीद की जाती है, भले ही सुनवाई वर्चुअल मोड में हो रही हो।"

    अन्य संबंधित आदेश

    मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार (03 फरवरी) को यह देखते हुए कि वकील वर्चुअल सुनवाई के लिए एक खड़ी कार में बैठकर और आकस्मिक तरीके से पेश हुआ, वकील के आचरण पर अपनी नाराजगी व्यक्त की।

    अदालत ने कहा कि,

    "याचिकाकर्ता के वकील एक खड़ी कार में आकस्मिक तरीके से बैठकर मामले की सुनवाई के लिए पेश होते हैं जो उच्च न्यायालय द्वारा अधिसूचित वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग नियमों के मद्देनजर अनुमेय है।"

    पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार (04 फरवरी) को कहा कि यह केवल चौंकाने वाला है कि अधिवक्ता वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सड़कों पर, पार्कों में बैठकर, सीढ़ियों पर बैठकर और यहां तक कि दौड़ते हुए बहस कर रहे हैं या मामलों में भाग ले रहे हैं। इससे अदालत के लिए कार्यवाही करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि ठीक से सुनाई नहीं देता है।

    डीआरटी- I अहमदाबाद के पीठासीन अधिकारी विनय गोयल ने नवंबर 2020 में एडवोकेट विशाल गोरी पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया था जो अपनी कार के अंदर बैठकर वर्चुअल सुनवाई में शामिल हुए थे।

    केस का शीर्षक - गणेश चंद्र साहू और अन्य बनाम उड़ीसा राज्य और अन्य

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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