'निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस कोटा के तहत एडमिशन के लिए पारदर्शी, परेशानी मुक्त प्रक्रिया विकसित कर रहे हैं': दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया

Brij Nandan

1 Dec 2022 11:59 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट (Delhi High Court) को सूचित किया कि वह निजी गैर सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के तहत एडमिशन के लिए बच्चों के लिए एक पारदर्शी, समान और परेशानी मुक्त प्रवेश प्रक्रिया विकसित कर रही है।

    चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ को यह भी बताया गया कि रिक्तियों की संख्या प्रदर्शित करने वाला एक पोर्टल विकसित किया गया है, और माता-पिता एडमिशन कोटा के तहत उपलब्ध रिक्तियों के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

    इस प्रकार अदालत ने एक एनजीओ जस्टिस फॉर ऑल की ओर से दायर जनहित याचिका का निस्तारण किया, जिसमें शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और वंचित समूह से संबंधित 44,000 से अधिक बच्चों का एडमिशन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। याचिका में एडमिशन प्रक्रिया की निगरानी की भी मांग की गई थी।

    अदालत ने कहा,

    "प्रतिवादी/जीएनसीटीडी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि वैधानिक प्रावधानों और नियमों का सख्ती से पालन किया जाए।"

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने पहले कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 50,000 बच्चे आरटीई अधिनियम के तहत ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के लिए निर्धारित कोटा के तहत एडमिशन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

    वकील ने दावा किया कि स्कूल खाली सीटों को नहीं भर रहे हैं और दिल्ली सरकार भी आरटीई अधिनियम की धारा 12(1)(सी) का अनुपालन सुनिश्चित नहीं कर रही है।

    दूसरी ओर, दिल्ली सरकार ने अदालत से कहा कि वह दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम, 1973 और दिल्ली के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार नियम, 2011 के तहत निहित वैधानिक प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करेगी।

    केस टाइटल: जस्टिस फॉर ऑल बनाम दिल्ली के उपराज्यपाल एंड अन्य

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