'लगातार उत्पीड़ित करना': मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया आत्महत्या के लिए उकसाने वाले तथ्य पाए; जमानत देने से इनकार किया

LiveLaw News Network

12 July 2021 10:56 AM GMT

  • लगातार उत्पीड़ित करना: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया आत्महत्या के लिए उकसाने वाले तथ्य पाए; जमानत देने से इनकार किया

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक नाबालिग लड़की को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया है कि आरोपी ने लगातार उत्पीड़न करके लड़की के भीतर असहायता की भावना पैदा की और वह कुछ भी मुश्किल बना दिया, जिससे उसने आत्महत्या कर ली।

    न्यायमूर्ति शैलेंद्र शुक्ला ने कहा कि,

    "इस प्रकार यह देख सकता है कि आरोपी-आवेदक द्वारा नाबालिग लड़की का लगातार उत्पीड़न करके उसमें असहायता और निराशा की भावना पैदा हुई और और इस तरह के उत्पीड़न ने उसका दैनिक जीवन को मुश्किल बना दिया और इससे तंग आकर उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। आवेदक की ओर से उत्पीड़न किया जा रहा थ और पीड़िता के पास आत्महत्या करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। इस तरह का उत्पीड़न कोई छोटी घटना नहीं है, बल्कि एक गंभीर अपराध है।"

    आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 305 के साथ-साथ पॉक्सो अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। आरोपी ने इसके खिलाफ जमानत याचिका दायर की।

    अभियोजन पक्ष का यह मामला है कि नाबालिग लड़की को आरोपी द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था कि वह उसका अपहरण कर लेगा और शादी के लिए उसे प्रताड़ित कर रहा था। इस तरह इस तरह की धमकी और प्रताड़ना के चलते उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

    अभियुक्त का मामला है कि उपरोक्त अधिनियम में आईपीसी की धारा 107 के तहत उकसाने के सबूत शामिल नहीं है और इसलिए उसे नाबालिग लड़की की आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।

    इसलिए बेंच के सामने सवाल यह था कि क्या उत्पीड़न अपने आप में आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा है या नहीं?

    यह देखते हुए कि मृतक लड़की अपने परिवार के सदस्यों को परेशान करने वाली घटनाओं के बारे में बताती थी, अदालत ने कहा कि,

    "इस तरह का उत्पीड़न आवेदक की ओर से लगभग रोज किया जा रहा था और यहां तक कि जब मृतक पानी लेने के लिए पानी की टंकी पर जाती थी, तब भी आवेदक उसे परेशान करता था।"

    यह देखते हुए कि आरोपी की ओर से मृतक को लगातार परेशान किए जाने का सबूत है। अदालत ने इस विषय पर संबंधित निर्णयों पर भरोसा करते हुए कहा कि इस मामले में उत्पीड़न एक छिटपुट घटना नहीं है, बल्कि एक गंभीर अपराध है।

    अदालत ने कहा कि,

    "इस प्रकार प्रथम दृष्टया आत्महत्या के लिए उकसाने के तत्व इस मामले में मौजूद हैं।"

    कोर्ट ने आरोपी आवेदक को जमानत देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।

    केस का शीर्षक: पवन बनाम मध्य प्रदेश राज्य

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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