जब मामला सुनवाई के लिए लिया जाए तो सुनिश्चित करें कि जांच अधिकारी अदालत में मौजूद हो: दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस आयुक्त से कहा

Shahadat

17 May 2023 5:07 AM GMT

  • जब मामला सुनवाई के लिए लिया जाए तो सुनिश्चित करें कि जांच अधिकारी अदालत में मौजूद हो: दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस आयुक्त से कहा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस के आयुक्त से यह सुनिश्चित करने को कहा कि किसी मामले की सुनवाई के दौरान मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी अदालत में मौजूद हों।

    जस्टिस रजनीश भटनागर ने अदालत द्वारा पूछे गए कुछ प्रश्नों का उत्तर देने में जांच अधिकारी की विफलता पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा,

    "यह नियमित अपरिवर्तनीय अभ्यास बन गया है कि मामले की जांच करने वाले मुख्य जांच अधिकारी पेश नहीं हो रहे हैं और उनकी ओर से स्थानापन्न अधिकारी पेश हो रहे हैं और वे मामलों के तथ्यों से वाकिफ नहीं हैं।"

    अदालत पति और उसके परिवार के सदस्यों द्वारा 2021 में वैवाहिक विवाद के कारण पत्नी द्वारा दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 498ए, 406 और 34 के तहत अपराधों के लिए महरौली पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई।

    अदालत ने कहा,

    "मामले को पुलिस आयुक्त के संज्ञान में लाया जाए, जो तुरंत कार्रवाई करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि मामले की जांच करने वाले आईओ अदालत में मौजूद हों, जब विशेष पुलिस स्टेशन से संबंधित मामला सुनवाई के लिए लिया जाता है।"

    उक्त टिप्पणी 08 मई को पारित आदेश में की गई थी।

    पक्षकारों ने 2017 में शादी की। मुकदमे के लंबित रहने के दौरान, 09 मार्च, 2022 को आर्बिट्रेशन में मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया। फिर हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 बी (2) के तहत याचिका दायर की गई और विवाह को भंग कर दिया गया। फैमिली कोर्ट द्वारा दिनांक 08 फरवरी को तलाक की डिक्री पारित की गई।

    पति और उसके परिवार के सदस्यों ने तब हाईकोर्ट का रुख किया और एफआईआर रद्द करने की मांग की। पक्षकारों द्वारा यह प्रस्तुत किया गया कि उन्होंने अपने विवादों का निपटारा कर लिया है। शिकायतकर्ता पत्नी ने भी स्वीकार किया कि उसने आरोपी व्यक्तियों के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से मामले को सुलझा लिया।

    दिल्ली पुलिस की ओर से पेश एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर राज कुमार ने कहा कि समझौते के मद्देनजर एफआईआर रद्द होने पर अभियोजन पक्ष को कोई आपत्ति नहीं है।

    अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली और यह कहते हुए एफआईआर रद्द कर दी कि मामले को लंबित रखने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा।

    अदालत ने कहा,

    “यह कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं होगा। नतीजतन, इस याचिका को स्वीकार किया जाता है और पुलिस स्टेशन महरौली, दिल्ली में आईपीसी की धारा 498ए/406/34 के तहत दर्ज की गई एफआईआर नंबर 634/2021 और इससे होने वाली कार्यवाही रद्द की जाती है।”

    केस टाइटल: राजेश प्रकाश लोहानी और अन्य बनाम राज्य और अन्य

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें




    Next Story