'एकनाथ शिंदे सरकार एमवीए सरकार द्वारा लिए गए वैध फैसलों को रद्द नहीं कर सकती': बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका
Shahadat
2 Aug 2022 10:18 AM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट में महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के कथित मनमाना और सैकड़ों विकास परियोजनाओं, कल्याणकारी योजनाओं, नीतिगत फैसलों को रोकने और पिछली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार द्वारा नियुक्त समिति प्रमुखों को हटाने के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई है।
याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी किशोर गजभिये, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष जगन्नाथ अभियानकर और अन्य विशेष रूप से सामाजिक न्याय और विशेष सहायता विभाग, जनजातीय विकास विभाग और पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के तहत स्वीकृत योजनाओं पर पड़ने वाले प्रभाव से चिंतित हैं।
आदिवासी विकास विभाग के उप सचिव ने 21 जुलाई, 2022 को 29 आदिवासी परियोजनाओं पर नियुक्त 197 अध्यक्ष और गैर-सरकारी सदस्यों की नियुक्ति को उनका कार्यकाल पूरा होने से पहले ही रद्द करना शुरू कर दिया। याचिका के अनुसार कुछ याचिकाकर्ताओं की नियुक्तियां भी जल्द ही रद्द कर दी जाएंगी।
याचिका में कहा गया,
"महाराष्ट्र में सत्ता के लालच से प्रेरित राजनेताओं ने महाराष्ट्र राज्य में प्रशासन के सभी स्तरों पर वर्तमान उथल-पुथल, राजनीतिक अस्थिरता, प्रशासनिक शून्य और वित्तीय असुरक्षा को जन्म दिया है।"
याचिका में कहा गया है,
"..मुख्यमंत्री को भारत के संविधान के अनुच्छेद 166 के तहत बनाए गए बिजनेस ऑफ कंडक्ट रूल्स के तहत पिछली सरकार के फैसलों पर रोक लगाने या कानूनी रूप से लिए गए फैसलों को रद्द करने का अधिकार नहीं है।"
इसमें कहा गया कि निर्णय मंत्रिपरिषद के सहयोगी और सलाह के बिना लिया जाता है। इतना ही नहीं अभी तक विभागों का बंटवारा भी नहीं हुआ है। केवल एकनाथ शिंदे को सीएम और देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम के रूप में शपथ दिलाई। एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 40 अन्य विधायकों के साथ बगावत की और भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई है।
दोनों के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद महाराष्ट्र सरकार ने जिला अनाल योजना 2022-2023 के तहत कार्यों पर रोक लगाने का निर्देश दिया, जिसे पहले ही प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी थी। साथ ही लगभग 30,000 सहकारी समितियों का चुनाव रद्द कर दिया गया। मुख्य सचिव ने 20 जुलाई को सीएम के आदेश पर सचिवों को आयोगों आदि की नियुक्तियों को रद्द करने के प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। तदनुसार कई प्रस्ताव पारित किए गए।
याचिका में कहा गया,
"विभिन्न वैधानिक बोर्डों, आयोगों और समितियों में सदस्यों की नियुक्ति को समय से पहले रद्द करने का निर्णय दुर्भावनापूर्ण है। यह राजनीतिक लाभ के अलावा कुछ नहीं है।"
याचिका में कहा गया कि निष्पादन में देरी से सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ रहा है। याचिकाकर्ताओं ने आगे दावा किया कि पिछली एमवीए सरकार ने भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर सामाजिक विकास योजना के तहत कई नीतिगत निर्णय लिए और विभिन्न योजनाओं को प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की।''
मौजूदा सरकार ने इस नीति के तहत कम से कम 12 कार्यों को रोक दिया गया है।
इस नियुक्तियों रद्द करने के लिए न तो महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव और न ही महाराष्ट्र सरकार के अन्य विभागों के प्रमुखों को वित्तीय अनियमितताओं या कार्यों की स्वीकृति में पक्षपात और भाई-भतीजावाद की कोई शिकायत प्राप्त हुई है।
अंत में याचिकाकर्ताओं ने प्रार्थना की-
1. 20 जुलाई, 2022 के सर्कुलर को रद्द करने के लिए अपर मुख्य सचिवों को संबोधित करते हुए वैधानिक निकायों, सरकारी और अर्ध-सरकारी निगमों के गैर-सरकारी सरकारी सदस्यों को रद्द करने और सीएम को प्रस्तुत करने के प्रस्ताव तैयार करने के लिए संबोधित किया।
2. विभिन्न परियोजनाओं और योजनाओं पर रोक लगाने वाले सरकारी सर्कुलर को रद्द करें।
3. आदिवासी विकास विभाग के उप सचिव का 21 जुलाई 2022 का जीआर रद्द करते हुए 29 आदिवासी परियोजनाओं पर नियुक्त 197 अध्यक्ष एवं गैर सरकारी सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने से पहले उनकी नियुक्ति रद्द किया जाए।
यह याचिका तालेकर एंड एसोसिएट्स के माध्यम से दायर की गई है।