आवेदक के माता-पिता का असंतोषजनक क्रेडिट स्कोर एजुकेशन लोन देने से इनकार करने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता : केरल हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

9 July 2020 10:06 AM GMT

  • आवेदक के माता-पिता का असंतोषजनक क्रेडिट स्कोर एजुकेशन लोन देने से इनकार करने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता : केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि एजुकेशन लोन (शैक्षिक ऋण) सिर्फ इस आधार पर देने से मना नहीं किया जा सकता कि आवेदक के अभिभावक का क्रेडिट स्कोर (ऋणांक) असंतोषजनक है।

    न्यायमूर्ति अनु शिवरमन ने कहा कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद आवेदक की लोन चुकाने की क्षमता एकमात्र निर्णायक कारक हो सकता है।

    प्रणव फ़ूड टेक्नॉलजी में प्रथम वर्ष बीटेक का छात्र है और उसने एसबीआई से शिक्षा ऋण के लिए आवेदन किया था ताकि वह तमिलनाडु के इंजीनियरिंग कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी कर सके। उसका आवेदन इस आधार पर ख़ारिज कर दिया गया क्योंकि उसके पिता की सीआईबीआईएल रिपोर्ट के अनुसार उसने वाणिज्यिक वाहन के लिए जो ऋण लिया था उसकी किश्त चुकाने में उसके पिता चूक गए थे।

    प्रणव ने अदालत को बताया कि यह ऋण चुकाने के बाद भी शिक्षा ऋण लेने के उसके आवेदन को इस आधार पर रद्द कर दिया गया कि उसके माता पिता के क्रेडिट स्कोर में कई गड़बड़ियां हैं।

    बैंक ने अपने प्रति-हलफ़नामे में भारतीय बैंक संघ के मॉडल शिक्षा ऋण योजना और भारतीय स्टेट बैंक के ऑफ़िस मेमोरंडम पर भरोसा किया जिसके तहत राज्य के बाहर मैनेजमेंट कोटे के अधीन पढ़ाई के लिए अगर क़र्ज़ लेने की बात है तो ऋणांक पर ग़ौर किया जाएगा।

    अदालत ने अपील पर ग़ौर करने के बाद हाल के एक फ़ैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि क़र्ज़ चुकाने की क्षमता का आकलन मां-बाप की वित्तीय स्थिति पर नहीं बल्कि छात्र की भविष्य की आय पर की जानी चाहिए। अदालत ने कहा कि क़र्ज़ देने से मना करने का कारण यह नहीं बताया गया है कि प्रवेश प्रबंधन कोटे के तहत प्रवेश मिला है।

    अदालत ने कहा,

    "याचिककर्ता ओबीसी समुदाय का है और वह अपनी बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के लिए क़र्ज़ लेना चाहता है। …याचिककर्ता के मां-बाप का असंतोषजनक ऋणांक क़र्ज़ लेने के उसके आवेदन को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता…शिक्षा पूरी करने के बाद याचिकाकर्ता की क़र्ज़ चुकाने की क्षमता एकमात्र निर्णायक कारण होना चाहिए…।"

    अदालत ने बैंक को आवेदक को शिक्षा ऋण देने पर दो सप्ताह के भीतर ग़ौर करने का आदेश दिया।

    मामला : प्रणव एसआर बनाम शाखा प्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक

    नंबर : WP(C).No.10968, 2020

    कोरम : न्यायमूर्ति अनु शिवरमन

    वक़ील : बी मोहनलाल और जवाहर जोस

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहांं क्लिक करेंं



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