यदि दस्तावेज़ स्पष्ट रूप से पढ़ा जा सकता है तो टाइप की गई कॉपी पर जोर न दें : पटना हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री से कहा
Sharafat
9 Sept 2023 4:15 PM IST
पटना हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री के भीतर डॉक्यूमेंट मैनेजमेंट की दक्षता बढ़ाने के प्रयास में केस रिकॉर्ड में शामिल करने के लिए दस्तावेज़ों की टाइप की गई कॉपी की आवश्यकता के चलन को बंद करने का निर्णय लिया। इस चलन से केस बंडलों में भीड़ पैदा हो रही थी और इसमें बाधा हो रही थी। टाइप की गई कॉपी को मूल दस्तावेज़ों के प्रत्येक पेज के साथ रखा जाता है।
न्यायालय ने इस प्रस्ताव के आलोक में इस बात पर जोर दिया कि दस्तावेजों की टाइप की गई कॉपी पर जोर देना अब आवश्यक नहीं है। इस बदलाव से केस बंडलों पर बोझ कम होने और न्यायिक कार्यवाही के लिए मूल दस्तावेजों तक अधिक सुविधाजनक पहुंच की सुविधा मिलने की उम्मीद है।
हालांकि, स्पष्टता सुनिश्चित करने के लिए, स्टाम्प रिपोर्टर्स को अदालत में प्रस्तुत दस्तावेजों को वैरिफिकेशन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ऐसे मामलों में जहां दस्तावेज़ क्लियर नहीं है और पढ़ने में उन्हें कठनाई जाते है, स्टांप रिपोर्टर्स को मूल के साथ टाइप की गई कॉपी देने की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त, दस्तावेज़ की अस्पष्टता के किसी भी मामले को स्टाम्प रिपोर्टिंग अनुभाग द्वारा विधिवत नोट किया जाएगा।
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