'वैक्सीन को लेकर लोगों में झूठी उम्मीद ना जगाएं': कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य को दूसरी डोज की खरीद के लिए उठाए गए कदमों को सूचित करने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

21 May 2021 4:47 AM GMT

  • वैक्सीन को लेकर लोगों में झूठी उम्मीद ना जगाएं: कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य को दूसरी डोज की खरीद के लिए उठाए गए कदमों को सूचित करने का निर्देश दिया

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को कोविशील्ड (Covishield) की 7,04,050 डोज और कोवैक्सिन (Covaxin) की 2,44,170 डोज की खरीद के लिए उठाए गए कदमों को सूचित करने का निर्देश दिया। दरअसल, राज्य में विशेषज्ञों के निकाय द्वारा निर्धारित समय-सीमा के भीतर लोगों को दूसरी डोज नहीं मिल पा रही है। कोर्ट ने कर्नाटक राज्य में टीकाकरण की कमी की गंभीर स्थिति को देखते हुए यह निर्देश दिया।

    मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की खंडपीठ ने कहा कि,

    "हम राज्य और केंद्र सरकार को यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर सबूत रखने का निर्देश देते हैं कि किसी भी लाभार्थी द्वारा कोवैक्सिन की पहली डोज लेने के छह सप्ताह बाद दूसरी डोज नहीं मिली है। दूसरी डोज सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं, यह अगले मंगलवार तक रिकॉर्ड पर रखें।"

    अदालत को 18 मई को सौंपे गए विवरण के अनुसार कोवैक्सिन की पहली डोज लेने वाले 4,55,084 से अधिक लोगों ने 4 सप्ताह पूरे कर लिए हैं। अब तक 39,457 लाभार्थियों ने 3 सप्ताह पूरे कर लिए हैं। 22,780 ने 2 सप्ताह पूरे कर लिए हैं। 16,000 ने एक सप्ताह पूरा कर लिया है।

    इस समय राज्य सरकार के पास कोवैक्सिन की 97,440 डोज उपलब्ध हैं। भारत सरकार का स्टैंड यह है कि मई 2021 में राज्य को फ्री में कुल 1,64,840 डोज आवंटित की जाएगी और राज्य सरकार सीधे 2,44,170 डोज खरीद सकती है।

    अदालत ने कहा कि,

    "हम राज्य सरकार को निर्देश देते हैं कि वह यह बताए कि राज्य सरकार ने 2,44,170 डोज की खरीद के लिए क्या प्रयास किए हैं।"

    कोर्ट ने आगे कहा कि राज्य सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के आधार पर यह मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि मई के अंत तक 4,50,000 से अधिक लाभार्थी जिन्होंने कोवैक्सिन की पहली डोज ली है वे छह सप्ताह पूरे कर लेंगे। इसलिए, यहां तक कि कोवैक्सिन के संबंध में वैक्सीन की कमी का गंभीर मुद्दा है।

    अदालत को कोविशील्ड के संबंध में सूचित किया गया कि 16 मई तक 80,42,371 लाभार्थियों को कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज मिली है और 22,08,320 लाभार्थियों को कोविशील्ड की दूसरी डोज मिली है। कुल 58,34,050 लाभार्थियों को भविष्य में दूसरी डोज की आवश्यकता होगी। आज तक राज्य के पास उपलब्ध कोविशील्ड वैक्सीन का कुल स्टॉक 7,14,140 है।

    कोर्ट ने कहा कि जहां तक कोविशील्ड का सवाल है तो आंकड़ों को सही मानकर तस्वीर देखने से पहली डोज लेने वालों के लिए भी डोज की कमी होने वाली है। राज्य सरकार को यह बताना होगा कि 7,04,050 डोज की खरीद के लिए उसने क्या प्रयास किए हैं।

    पीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि,

    "हम जानते हैं कि टीके बनाने के लिए कोई जादुई छड़ी नहीं है। लेकिन लोगों को टीके की उपलब्धता के बारे में बताएं और उन्हें अधिक टीका तैयार रहना चाहिए, मास्क पहनना चाहिए और अन्य सावधानियों का पालन करना चाहिए। लोगों को झूठी उम्मीद न दें कि उन्हें टीका लगेगा।"

    कोर्ट ने आगे कहा कि,

    "अभी जो तस्वीर दिखाई जा रही है, वह यह है कि सभी को टीका मिल जाएगा तो राज्य सरकार और केंद्र सरकार को लोगों को सूचित करना चाहिए। राज्य सरकार को राज्य में टीकों की उपलब्धता पर एक श्वेत पत्र के साथ आना चाहिए। राज्य सरकार को जनता के बीच जाना चाहिए और वैक्सीन की कमी के बारे में बताना चाहिए ताकि लोग उम्मीद के साथ वैक्सीन केंद्रों पर न जाएं और बिना वैक्सीन के वापस आ जाएं।"

    वैक्सीन की दूसरी डोज के लिए निर्धारित समय-सीमा का पालन करें।

    केंद्र सरकार द्वारा सभी राज्य के मुख्य सचिवों को 13 मई को जारी एक पत्र के अनुसार जो विशेषज्ञों के निकाय की सिफारिशों के अनुसार है, यह कहा गया है कि कोविशील्ड की दूसरी डोज, पहली डोज से 12 से 16 सप्ताह के बीच दी जा सकती है। इससे पहले 6 से 8 सप्ताह के बीच दूसरी डोज देने की घोषणा की गई थी। कोवैक्सिन पर लागू दो डोज के बीच की समय-सीमा में बदलाव नहीं किया गया है।

    बार द्वारा यह पूछा गया कि क्या विशेषज्ञों के निकाय द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर दूसरी डोज नहीं लेने वाले व्यक्ति को पहली डोज फिर से लेनी होगी।

    अदालत ने कहा कि हम इस सवाल में नहीं जा रहे हैं क्योंकि हम स्वास्थ्य के अधिकार के आलोक में टीकाकरण के मुद्दे की जांच कर रहे हैं, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अभिन्न अंग है। यदि विशेषज्ञों के निकाय द्वारा वैक्सीन डोज की समय- सीमा निर्धारित की दई है जिसे केंद्र सरकार द्वारा स्वीकार किया गया है यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रभावी टीकाकरण हो, उसके लिए समय-सीमा का पालन करना होगा।

    कोर्ट ने आगे कहा कि COVID-19 के प्रसार को रोकने के महत्वपूर्ण उपायों में से एक उपाय है कि टीकाकरण को प्रभावी बनाना। सभी संबंधितों के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि भारत सरकार द्वारा स्वीकार किए गए विशेषज्ञों की सिफारिशों का सही ढंग से पालन किया जाएगा।

    क्या राज्य सरकार को निजी एजेंसियों को केवल दूसरी डोज देने की प्राथमिकता का निर्देश देना चाहिए?

    वरिष्ठ अधिवक्ता जयना कोठारी ने अदालत को बताया कि निजी एजेंसियां पहली डोज तब भी दे रही हैं, जब 60 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों के लिए टीके की दूसरी डोज की कमी है।

    एमिकस क्यूरी विक्रम हुइलगोल ने बताया कि केंद्र सरकार की नीति के अनुसार विनिर्माताओं द्वारा 50 प्रतिशत आपूर्ति में से 25 प्रतिशत निजी एजेंसियों द्वारा खरीदा जा सकता है और इस तरह उन पर कोई नियमन नहीं है।

    अदालत को अधिवक्ता जी आर मोहन ने बताया कि अधिकतर निजी एजेंसियां वैक्सीन 850 रुपये प्रति डोज से अधिक चार्ज कर रही हैं और भुगतान पर पहली डोज दी जा रही है।

    कोर्ट ने कहा कि दो पहलू हैं। पहला, क्या राज्य सरकार 60 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों को दूसरी डोज के लिए प्राथमिकता देने जा रही है। दूसरा पहलू निजी एजेंसियों द्वारा दूसरी डोज दी जाएगी।

    पीठ ने कहा कि चूंकि राज्य ने स्टैंड लिया है कि फ्रंटलाइन और स्वास्थ्य कर्मियों को छोड़कर किसी को भी पहली डोज नहीं मिलेगी। अब सवाल यह है कि क्या निजी एजेंसियों को पहली डोज देने की अनुमति दी जा सकती है। इसके साथ ही जब राज्य सरकार के माध्यम से 60 वर्ष से ऊपर के लोगों को भी दूसरी डोज आसानी से नहीं मिल रही है, क्या निजी एजेंसियों को 45 से 60 वर्ष की आयु के लोगों को दूसरी डोज देने की अनुमति दी जा सकती है।

    अदालत को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सूचित किया कि राज्य इस संबंध में निजी एजेंसियों को निर्देश जारी करने के लिए शक्तिहीन नहीं है।

    अदालत ने कहा कि जब हम उपरोक्त दो पहलुओं से निपट रहे हैं तो हम सीधे स्वास्थ्य के अधिकार के मुद्दे पर ही नहीं बल्कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के उल्लंघन से भी निपट रहे हैं। जब दूसरी खुराक की भारी कमी है तो राज्य सरकार को एक उचित नीति लानी होगी जो तर्कसंगत और निष्पक्ष हो। नीति पर राज्य की प्रतिक्रिया और निजी एजेंसियों को निर्देश जारी करने के सवाल पर अगले मंगलवार को जवाब दिया जाना चाहिए।

    कोर्ट ने आगे कहा कि,

    "कर्नाटक राज्य में मौजूदा स्थिति को देखते हुए क्या निजी एजेंसियों को पहली डोज देने की अनुमति दी जा सकती है। केंद्र सरकार द्वारा अगली तारीख तक स्टैंड लेना होगा।"

    पहली डोज मिलने के बाद COVID-19 से संक्रमित लोगों की दूसरी डोज टाली गई।

    एएसजी भाटी ने 19 मई को भारत सरकार द्वारा सभी राज्यों को लिखे गए एक पत्र को अदालत के संज्ञान में लाया जिसमें महत्वपूर्ण प्रोटोकॉल के बारे में बताया गया था। प्रोटोकॉल में कहा गया है कि जो लोग पहली डोज लेने के बाद COVID-19 से संक्रमित हुए हैं उन्हें दूसरी दूसरी डोज ठीक होने के बाद तीन महीने बाद दी जाएगी।

    अदालत ने कहा कि जो तर्क दिया गया है उसके संदर्भ में हम यहां ध्यान दे सकते हैं कि राज्य सरकार को पहली डोज लेने वाले लाभार्थियों की दूसरी डोज की आवश्यकता पर फिर से काम करना होगा। राज्य सरकार काम कर सकती है। कोविशील्ड के मामले में 16 सप्ताह और कोवैक्सिन के मामले में छह सप्ताह पूरा करने वाले लाभार्थियों की संख्या के आंकड़ों की तारीख के अनुसार ऐसा करते समय राज्य को उन लोगों को बाहर करना होगा जिनकी दूसरी डोज तीन महीने के लिए स्थगित कर दी गई है।

    कोर्ट ने आगे कहा कि,

    "जब तक राज्य सरकार दूसरी डोज की आवश्यकता का सटीक डेटा तैयार नहीं करती है तब तक पहली डोज लेने वाले सभी लोगों को दूसरी डोज को प्रभावी ढंग से प्रशासित करना संभव नहीं हो सकता है। राज्य सरकार को अगली तारीख पर जवाब देना होगा।"

    Next Story