'आरटीई अधिनियम के तहत गैर- शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की ड्यूटी न लगाया जाए': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश जारी करने के लिए आदेश दिए

LiveLaw News Network

14 July 2021 4:04 PM IST

  • आरटीई अधिनियम के तहत गैर- शैक्षणिक कार्यों में  शिक्षकों की ड्यूटी न लगाया जाए: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश जारी करने के लिए आदेश दिए

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों को विभिन्न जिलों के संबंधित जिलाधिकारियों और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश देने के लिए कहा कि शिक्षकों को आरटीई अधिनियम [बच्चों का मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009] के तहत गैर- शैक्षणिक कार्य न सौंपा जाए।

    न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की खंडपीठ तीन प्राथमिक शिक्षकों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने प्रस्तुत किया कि राज्य और परिषद के अधिकारी उन्हें बूथ स्तर के अधिकारी के रूप में नियुक्त कर रहे हैं और उन्हें कई अन्य कार्य सौंपे जा रहे हैं जिन्हें शिक्षकों द्वारा निष्पादित करने की आवश्यकता नहीं है।

    कोर्ट ने फैसला सुनाया कि बच्चों के नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 27 के विपरीत याचिकाकर्ताओं को काम करने के लिए अधिकारियों द्वारा जारी दिशा-निर्देश के लिए उत्तरदायी नहीं है।

    न्यायालय ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने में 2009 के अधिनियम की धारा 27 और साथ ही 2011 के नियमों के नियम 21(3) का उल्लेख किया।

    जबकि अधिनियम 2009 की धारा 27 गैर- शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए शिक्षकों की तैनाती पर रोक लगाती है। नियम 21 (3) कहता है कि छात्र-शिक्षक अनुपात बनाए रखने के उद्देश्य से किसी स्कूल में तैनात किसी भी शिक्षक को जनसंख्या जनगणना, आपदा राहत कर्तव्यों या स्थानीय प्राधिकरण या राज्य विधानसभाओं या संसद के चुनावों से संबंधित कर्तव्यों के अलावा किसी भी स्कूल में, अन्य स्कूल या कार्यालय या किसी गैर- शैक्षणिक उद्देश्य के लिए तैनात नहीं किया जा सकता है।

    कोर्ट ने इन प्रावधानों के मद्देनजर राज्य सरकार को निर्देश दिया कि,

    "संबंधित अधिकारी संबंधित जिलाधिकारियों और विभिन्न जिलों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को आवश्यक निर्देश जारी करेंगे कि 2009 के अधिनियम की धारा 27 के तहत निहित प्रावधानों का ईमानदारी से पालन किया जाए और सहायक शिक्षकों को प्रावधानों के तहत गैर- शैक्षणिक काम नहीं सौंपा जाएगा।"

    कोर्ट ने उपरोक्त टिप्पणियों के साथ रिट याचिका का निपटारा किया।

    केस का शीर्षक - चारु गौर एंड दो अन्य बनाम यूपी राज्य एंड छह अन्य

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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