न्यायालय किसी दस्तावेज़ को साक्ष्य के रूप में लेने से केवल इसलिए इनकार नहीं कर सकता क्योंकि वह कमजोर फोटोस्टेट कॉपी या कथित तौर पर मनगढ़ंत है : आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

Sharafat

1 Sep 2023 12:43 PM GMT

  • न्यायालय किसी दस्तावेज़ को साक्ष्य के रूप में लेने से केवल इसलिए इनकार नहीं कर सकता क्योंकि वह कमजोर फोटोस्टेट कॉपी या कथित तौर पर मनगढ़ंत है : आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

    आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि ट्रायल कोर्ट का ऐसा आदेश जिसमें कुछ दस्तावेजों को केवल यह कहकर रिकॉर्ड पर लेने से इनकार किया गया हो कि वे फोटोस्टेट हैं या दस्तावेजों को केवल यह कहकर रिकॉर्ड पर लेने से इनकार किया गया हो कि अभियोजन पक्ष द्वारा उन पर कमजोर दस्तावेज़ या मनगढ़ंत दस्तावेज़ होने का आरोप लगाया गया है, न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

    जस्टिस डॉ. वीआरके कृपा सागर ने कहा, "इन दस्तावेजों की सामग्री की सच्चाई या अन्यथा यह एक ऐसा मामला है जिसका निर्णय मुकदमे में किया जाना चाहिए, न कि दस्तावेज़ प्राप्त करने की दहलीज पर।"

    पीठ अभियुक्तों द्वारा दायर एक आपराधिक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें साक्ष्य के रूप में आठ दस्तावेज़ रिकॉर्ड पर लेने से मजिस्ट्रेट के इनकार पर सवाल उठाया गया था।

    शिकायतकर्ता ने परक्राम्य लिखत अधिनियम (Negotiable Instruments Act) की धारा 138 के तहत अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि आरोपी ने उधार लिए गए रुपए के लिए चेक जारी किए थे और खाते में राशि की कमी के कारण वे चेक बाउंस हो गए।

    अभियुक्त ने अपने बचाव को साबित करने के लिए आठ दस्तावेज़ रिकॉर्ड पर लेने के लिए मजिस्ट्रेट से अनुमति मांगी। शिकायतकर्ता ने यह कहते हुए इस पर आपत्ति जताई कि ये दस्तावेज़ मनगढ़ंत हैं और इन पर शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर नहीं हैं और कुछ दस्तावेज़ फोटोस्टेट कॉपी हैं। इसके अलावा आरोपी कार्यवाही में देरी करने के उद्देश्य से इन दस्तावेजों को देर से दाखिल कर रहा है।

    ट्रायल कोर्ट ने विवादित आदेश पारित किया कि तीन दस्तावेज़ लेटर की फोटोस्टेट कॉपी हैं और उन्हें चिह्नित नहीं किया जा सकता है। जिन दो किताबों को आरोपी दाखिल करना चाहता था, उन्हें इस आधार पर रिकॉर्ड पर लेने से इनकार कर दिया गया कि उन पर शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर नहीं हैं। इसके अलावा अन्य दस्तावेज़ भी स्वीकार नहीं किए गए क्योंकि वे देरी से दाखिल किए गए थे।

    हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने तीन आधार पर गलत रुख अपनाया है। सबसे पहले सिर्फ इसलिए कि कोई दस्तावेज़ एक फोटोस्टेट कॉपी है, दस्तावेज़ प्राप्त करने से इनकार करने का कोई आधार नहीं है क्योंकि भारतीय साक्ष्य अधिनियम प्राथमिक और द्वितीयक साक्ष्य प्रदान करता है। दूसरा केवल इसलिए कि दस्तावेज़ का एक टुकड़ा बहुत कमज़ोर है/कथित रूप से मनगढ़ंत है, यह दस्तावेज़ रिकॉर्ड पर लेने इनकार करने का आधार नहीं हो सकता।

    कोर्ट ने कहा कि यह तय करना हमेशा ट्रायल कोर्ट के अधिकार में है कि ऐसे दस्तावेज वास्तव में तथ्य साबित करेंगे या नहीं। इसके अलावा जब उन दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लाया जाता है तो शिकायतकर्ता को मामले में अपना पक्ष रखने की पूरी आजादी होती है। तीसरा, दस्तावेज़ों को रिकॉर्ड पर लिया जा सकता था क्योंकि मुकदमा समाप्त नहीं हुआ था।

    न्यायालय ने उपरोक्त परिस्थितियों में तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट द्वारा दस्तावेज़ रिकॉर्ड में लेने से इनकार करने पर इस आदेश में सुधार की आवश्यकता है। इस प्रकार, आपराधिक याचिका की अनुमति दी गई।

    केस टाइटल : ए. कामेश्वर राव बनाम आंध्र प्रदेश राज्य

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