सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी: दिल्ली हाईकोर्ट ने रिक्त पदों को तेजी से भरने की याचिका पर नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

24 Nov 2021 9:18 AM GMT

  • सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी: दिल्ली हाईकोर्ट ने रिक्त पदों को तेजी से भरने की याचिका पर नोटिस जारी किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी अस्पतालों जैसे एम्स, सफदरजंग अस्पताल, राम मनोहर लोहिया अस्पताल आदि में पैरामेडिकल स्टाफ सहित पर्याप्त संख्या में डॉक्टरों की तत्काल नियुक्ति की मांग वाली जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया।

    याचिका में स्थानीय निकायों के अस्पतालों जैसे सभी एमसीडी और मोहल्ला क्लीनिक सहित अन्य निकायों के अस्पतालों में रिक्तियों को भरने की मांग की गई है। इन सभी निकायों को दिल्ली सरकार द्वारा तत्काल आधार पर चलाया जा रहा है।

    मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से भर्ती प्रक्रिया को शुरू करने के लिए कदम उठाने को कहा।

    जस्टिस पटेल ने मंत्रालय की ओर से पेश सीजीएससी अनिल सोनी से कहा,

    "कोई भी आपको सभी रिक्तियों को भरने के लिए नहीं कह रहा है। लेकिन कम से कम कुछ काम करके तो दिखाओ।"

    सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की 30-40% कमी का हवाला देते हुए त्रिनगर निर्वाचन क्षेत्र से दिल्ली के पूर्व विधायक डॉ नंद किशोर गर्ग ने याचिका दायर की।

    याचिका में कहा गया,

    "जीवन के अधिकार जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करने में जवाबदेही का पूर्ण अभाव है।"

    उन्होंने आरोप लगाया कि अलग-अलग कैटेगरी में अकेले एम्स में डॉक्टरों के 800 से ज्यादा पद खाली हैं। सफदरजंग अस्पताल में 433 डॉक्टरों और 67 पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है। वहीं राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 100 से अधिक डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की रिक्तियां हैं।

    इस प्रकार याचिका में कहा गया,

    "सरकारी अस्पताल समय पर रोगियों का इलाज करने में असमर्थ हैं और ऐसी परिस्थितियों में रोगी या तो गंभीर हो जाते हैं या लाइलाज होकर मर जाते हैं। इन रोगियों को इलाज की अत्यधिक लागत का भुगतान करके निजी अस्पतालों से स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने के लिए कर्ज लेने या अपनी संपत्ति बेचने के लिए मजबूर किया जाता है।"

    याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता शशांक देव सुधी द्वारा न्यायालय से स्वीकृत रिक्तियों को तत्काल आधार पर भरने के लिए निर्देश पारित करने का आग्रह किया।

    याचिका में "मौजूदा नौकरशाही और समय लेने वाली प्रक्रिया" को बदलकर डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया को मजबूत करने का भी प्रयास किए जाने की मांग की गई ताकि पद खाली होने के तुरंत बाद डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की रिक्तियों को भरा जा सके।

    सुनवाई के दौरान सीजीएससी अनिल सोनी ने इस प्रार्थना का विरोध करते हुए कहा कि भर्ती प्रक्रिया सेवा मामले से संबंधित है और इसमें नीतिगत निर्णय शामिल है।

    गौरतलब है कि कोर्ट ने दिल्ली भर के सरकारी अस्पतालों में COVID-19 से हुई मौतों की जांच के लिए वरिष्ठतम डॉक्टरों की एक टीम के साथ हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के साथ एक आयोग के गठन की प्रार्थना पर नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया था।

    मामले की सुनवाई अब 12 जनवरी, 2022 को होगी।

    केस शीर्षक: डॉ नंद किशोर गर्ग बनाम जीएनसीटीडी और अन्य।

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