तलाक के मामलों का फैसला फैमिली कोर्ट को एक साल के भीतर करना चाहिए: कर्नाटक हाईकोर्ट

Brij Nandan

27 July 2023 11:27 AM IST

  • तलाक के मामलों का फैसला फैमिली कोर्ट को एक साल के भीतर करना चाहिए: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि अदालतों (ट्रायल कोर्ट) को एक साल के भीतर वैवाहिक मामलों को निपटाने के लिए सभी प्रयास करने चाहिए, जिनमें विवाह के विघटन/अमान्यता के लिए प्रार्थना शामिल है।

    जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा,

    "वैवाहिक मामलों की सुनवाई और निपटारा युद्ध स्तर पर किया जाना चाहिए, कम से कम मानव जीवन की अल्पावधि के लिए रियायत के रूप में।"

    शीघ्र निपटान के महत्व को इंगित करते हुए पीठ ने कहा,

    "ताकि ऐसी डिक्री देने की स्थिति में, पक्षकार अपने जीवन का पुनर्गठन कर सकें।"

    इसके बाद यह कहा गया,

    ''यह कहने की शायद ही जरूरत है कि 'जीने में जान चली जाती है'। ऐसे मामलों के निपटारे में देरी से संबंधित पक्षों पर बहुत बुरा असर पड़ता है, इस पर विचार-विमर्श की जरूरत नहीं है।''

    अदालत ने यह टिप्पणी एन राजीव नाम के एक व्यक्ति की याचिका को स्वीकार करते हुए की, जिसने अदालत से अनुरोध किया था कि वह परिवार अदालत को वर्ष 2016 में उसके द्वारा दायर याचिका का निपटारा करने का निर्देश दे, जिसमें उसने प्रतिवादी के साथ अपनी शादी के विघटन/अमान्यता की डिक्री की मांग तीन महीने के भीतर की थी।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि त्वरित न्याय के अधिकार को शीर्ष अदालत द्वारा अनुच्छेद 21 के तहत संवैधानिक गारंटी के रूप में मान्यता दिए जाने के कारण उक्त मामले के शीघ्र निपटारे के लिए निर्देश जारी किया जाना चाहिए।

    याचिका को स्वीकार करते हुए अदालत ने फैमिली कोर्ट के न्यायाधीश से सात साल पुराने मामले की सुनवाई और निपटान तीन महीने की सीमा के भीतर पूरा करने का अनुरोध किया, सभी विवादों को खुला रखा गया है।

    कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को सभी संबंधित हलकों में फैसले को प्रसारित करने का भी निर्देश दिया ताकि अन्य समान परिस्थिति वाले वादी अपने मामलों के शीघ्र निपटान के लिए निर्देश मांगने के लिए अनावश्यक रूप से अदालत के दरवाजे न खटखटाएं।

    केस टाइटल : एन राजीव और सी दीपा

    केस नंबर: रिट याचिका नंबर. 14769 ऑफ 2023

    साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (कर्नाटक) 284

    आदेश की तिथि: 26-07-2023

    उपस्थिति: याचिकाकर्ता के लिए अधिवक्ता बसवराज आर बन्नूर।

    ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:




    Next Story