फ्लाइट्स में बीच की सीट खाली रखने के निर्देश को डीजीसीए ने नए सर्कुलर में हटाया, बॉम्बे हाईकोर्ट में एयर इंडिया ने बताया
LiveLaw News Network
24 May 2020 4:03 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एयर इंडिया के एक पायलट की तरफ से दायर रिट याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की। इस याचिका में आरोप लगाया है कि नेशनल कैरियर ने COVID 19 महामारी के मद्देनजर भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है। विशेष रूप से उस शर्त का उल्लंघन किया गया है, जिसमें कहा गया था कि चेक-इन के समय सीट का आवंटन इस तरह किया जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दो यात्रियों के बीच की एक सीट खाली रह जाए।
जस्टिस आर.डी धानुका और जस्टिस अभय आहूजा की खंडपीठ ने कमांडर देवेन वाई कनानी की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें भारत सरकार द्वारा 23 मार्च, 2020 को को जारी किए सर्कुलर को आधार बनाया गया है।
इस याचिका में आरोप लगाया है कि एयर इंडिया ने वंदे भारत मिशन के हिस्से के रूप में यूएसए से फंसे हुए यात्रियों को निकालने के दौरान बीच की सीट को खाली रखने के नियम का पालन नहीं किया। इस तरह सरकार के उक्त सर्कुलर का उल्लंघन किया गया है।
दलीलें
एयर इंडिया की ओर से पेश होते हुए डॉ अभिनव चंद्रचूड़ ने दलील दी कि भारत सरकार द्वारा 23 मार्च, 2020 को जारी परिपत्र गैर-अनुसूचित कमर्शियल उड़ानों पर लागू नहीं होता है, लेकिन यह केवल अनुसूचित या निर्धारित घरेलू उड़ानों पर लागू होगा। उन्होंने कहा कि विदेश से यात्रियों को निकालते समय और इन फंसे हुए यात्रियों को भारत में लाने की प्रक्रिया के दौरान वह सभी आवश्यक सावधानियां बरती जा रही हैं जो COVID 19 के प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक हैं।
इसके अलावा, चंद्रचूड़ ने तर्क दिया कि बाद में भारत सरकार द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों में दो यात्रियों के बीच एक सीट खाली रखने की कोई शर्त नहीं लगाई गई है। उन्होंने कहा कि अगर दो सीट के बीच में एक सीट को खाली भी रख दिया जाए तो भी सोशल डिस्टेंसिंग के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड पूरे नहीं हो पाएंगे।
याचिकाकर्ता के वकील अभिलाष पानिकर ने दलील दी कि यदि एयर इंडिया लिमिटेड के तर्क को स्वीकार कर लिया जाता है तो COVID 19 के प्रसार को रोकने के लिए कोई निवारक उपाय अपनाने की आवश्यकता नहीं होगी।
पानिकर ने सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका और मुंबई के बीच संचालित एयर इंडिया की उड़ानों में से एक उड़ान के एग्जीक्यूटिव क्लास और वाई क्लास के यात्रियों की तस्वीरें पेश कीं।
उन्होंने दलील दी कि भारत सरकार द्वारा 23 मार्च को जारी किए गए परिपत्र का पूरा उद्देश्य COVID 19 के प्रसार को रोकने के लिए निवारक उपाय अपनाना था,परंतु उनका पूरी तरह उल्लंघन किया गया है।
इस प्रकार न्यायालय ने पाया कि प्रथम दृष्टया एयर इंडिया ने सरकार के सर्कुलर का उल्लंघन किया था-
''प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि भारत सरकार द्वारा 23 मार्च 2020 को जारी सर्कुलर का मुख्य उद्देश्य यात्रियों की सुरक्षा और COVID 19 महामारी द्वारा निर्मित इस आपातकालीन स्थिति में उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा करना था। इन परिस्थितियों में इस सर्कुलर की व्याख्या विदेशी यात्रियों और घरेलू यात्रियों के लिए अलग-अलग नहीं की जा सकती है। सर्वोपरि विचार इन यात्रियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा का है, ताकि इस उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके कि यात्रा करते समय वह कोरोना वायरस से संक्रमित ना हो पाएं।
प्रथम दृष्टया हम याचिकाकर्ता के लिए वकील द्वारा प्रस्तुत उन दलीलों से सहमत हैं कि जिन यात्रियों को मुख्य रूप से यूएसए और यूके से लाया गया है वो COVID 19 संक्रमित यात्री हो सकते हैं। हमारे प्रथम दृष्टया विचार में एयर इंडिया ने चेक-इन के समय सीट के आवंटन के दौरान दो सीटों के बीच एक सीट को खाली न रखकर सरकार के 23 मार्च, 2020 के का सर्कुलर उल्लंघन किया है।''
कंप्लीट टर्नअराउंड
हालांकि शाम 5. 30 बजे डॉ चंद्रचूड़ ने पीठ को सूचित किया कि डीजीसीए ने 22 मई को एक नया सर्कुलर जारी किया है, जो 23 मार्च को जारी पुराने सर्कुलर की जगह ले रहा है। वहीं यह नया सर्कुलर केवल घरेलू उड़ानों पर लागू होता है, न कि अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर।
इसके अलावा, डॉ.चंद्रचूड़ ने अदालत को बताया कि उनके मुविक्कल ने 25 मई से घरेलू उड़ानों के संचालन को फिर से शुरू करने का फैसला किया है और 21 मई, 2020 के आदेश के माध्यम से नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने व्यापक दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
कोर्ट ने कहा कि
''उपरोक्त के मद्देनजर, हम प्रतिवादी नंबर दो व तीन को निर्देश देते हैं कि वह इस मामले में दाखिल किए जाने वाले हलफनामे में इस नए विकास को भी शामिल करें। वहीं प्रतिवादी नंबर एक को भी हम निर्देश देते हैं कि वह अगली तारीख से पहले अपने जवाब में एक हलफनामा दायर करे।''
इसके अलावा पीठ ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को 22 मई को जारी नए सर्कुलर व उसमें दिए गए दिशा-निर्देश के अनुसार वर्तमान रिट याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी है।
अंत में कोर्ट ने कहा कि-
''हम पहले ही 23 मार्च 2020 को जारी सर्कुलर की प्रयोज्यता के बारे में अपनी प्रथम दृष्टया टिप्पणियों को इंगित कर चुके हैं। प्रतिवादी नंबर दो व तीन का यह मामला नहीं है कि 22 मई 2020 को जारी नया सर्कुलर अंतर्राष्ट्रीय संचालन या गैर-अनुसूचित उड़ानों पर लागू होता है।
इसलिए हम यह स्पष्ट करते हैं कि पैरा 11 में इस न्यायालय द्वारा जारी किए गए निर्देश एक राइडर की तरह रहेंगे, क्योंकि 23 मार्च 2020 को जारी सर्कुलर को सिर्फ घरेलू उड़ानों के संबंध में ही 22 मई 2020 को जारी सर्कुलर के साथ पढ़ा जाएगा। चूंकि नया सर्कुलर उस मामले में ही 23 मार्च 2020 के सर्कुलर की जगह ले रहा है या पुराने निर्देश को हटा रहा है।''
इस मामले में अब 2 जून को सुनवाई होगी।
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